Vastu Tips : हर इंसान का सपना होता है कि उसका एक सुंदर और शांतिपूर्ण घर हो, जहां वह अपनी जिंदगी के अनमोल पल सुकून के साथ बिता सके। लेकिन घर बनवाने की इस प्रक्रिया में यदि वास्तु शास्त्र की अनदेखी की जाए, तो यह सपना कभी-कभी परेशानी और अशांति का कारण भी बन सकता है। वास्तु शास्त्र केवल निर्माण की दिशा या सजावट नहीं बताता, बल्कि यह ऊर्जा और जीवन के संतुलन को बनाए रखने की एक प्राचीन प्रणाली है।
आइए जानते हैं कि मकान बनवाते समय किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए ताकि आपका आशियाना सिर्फ सुंदर ही नहीं, बल्कि खुशहाल और सकारात्मक ऊर्जा से भरा भी हो…
1. भूमि चयन में न करें जल्दबाजी
घर बनवाने से पहले भूमि का चयन सबसे अहम कदम होता है। वास्तु के अनुसार त्रिभुजाकार या असामान्य आकार की जमीन से बचना चाहिए। उत्तरी-पूर्व दिशा से चौड़ी और दक्षिण-पश्चिम से संकरी भूमि को शुभ माना गया है, क्योंकि इससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बेहतर रहता है। भूमि की प्रकृति, आस-पास का वातावरण और उसका इतिहास भी ध्यान में रखना जरूरी होता है।
2. दिशाओं का सही निर्धारण है अत्यंत आवश्यक
मकान की योजना बनाते समय दिशाओं की सही जानकारी बेहद जरूरी होती है। मुख्य प्रवेश द्वार का स्थान उत्तर, उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में होना शुभ माना गया है। वहीं दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य) दिशा में दरवाजा होना समस्याएं उत्पन्न कर सकता है, जैसे आर्थिक तंगी, पारिवारिक कलह या मानसिक तनाव।
3. रसोईघर की दिशा का रखें विशेष ध्यान
रसोईघर अग्नि तत्व से जुड़ा होता है, इसलिए इसका स्थान दक्षिण-पूर्व दिशा में होना चाहिए। यह स्वास्थ्य और पारिवारिक सौहार्द बनाए रखने में मदद करता है। यदि रसोई को उत्तर-पूर्व दिशा में बनाया गया तो मानसिक तनाव, तकरार और परिवार में अशांति की स्थिति बन सकती है।
4. बाथरूम और टॉयलेट की प्लेसमेंट सही रखें
वास्तु के अनुसार उत्तर-पूर्व दिशा में बाथरूम या शौचालय बनाना भारी अशुभ होता है। इससे घर में नकारात्मकता बढ़ती है और स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें आ सकती हैं। बाथरूम या टॉयलेट के लिए पश्चिम या दक्षिण दिशा को उपयुक्त माना गया है, जिससे इन समस्याओं से बचा जा सकता है।
5. बेडरूम की दिशा और सोने की मुद्रा भी है मायने रखती
मुख्य शयनकक्ष (बेडरूम) दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना सबसे उचित माना गया है। साथ ही, सोते समय सिर दक्षिण दिशा की ओर और पैर उत्तर की ओर रखने चाहिए। उत्तर दिशा की ओर सिर रखकर सोना मानसिक अशांति और नींद संबंधी समस्याएं पैदा कर सकता है।
6. जल स्रोतों की स्थिति पर दें ध्यान
घर में जल स्रोत जैसे बोरवेल, हैंडपंप या कुआं आदि उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए, जिससे आर्थिक समृद्धि बनी रहती है। वहीं, ऊपर की टंकी (ओवरहेड टैंक) को दक्षिण-पश्चिम दिशा में बनाना चाहिए। जल स्रोतों की गलत दिशा आर्थिक हानि और मानसिक चिंता का कारण बन सकती है।
7. घर में वेंटिलेशन और रोशनी की कमी न हो
प्राकृतिक प्रकाश और ताजी हवा का घर में पर्याप्त प्रवेश होना अत्यंत जरूरी है। उत्तर और पूर्व दिशा में खिड़कियां व खुली जगहें बनाना लाभकारी होता है। अंधेरा और बंद वातावरण घर में नेगेटिविटी लाता है, जिससे परिवार के सदस्य अक्सर बीमार या चिड़चिड़े रह सकते हैं।
8. सीढ़ियों का निर्माण सही दिशा में करें
घर में सीढ़ियों की दिशा भी वास्तु के अनुसार निर्धारित होनी चाहिए। सीढ़ियों को दक्षिण या पश्चिम दिशा में बनाना उत्तम होता है। सीढ़ियां हमेशा दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर चढ़नी चाहिए। उत्तर-पूर्व दिशा में सीढ़ियां बनाना भारी दोष उत्पन्न कर सकता है।
9. ब्रह्मस्थान को खुला और स्वच्छ रखें
घर के मध्य भाग को ब्रह्मस्थान कहा जाता है, जो पूरे घर की ऊर्जा का केंद्र होता है। यहां किसी भी तरह का भारी सामान, निर्माण कार्य या अवरोध नहीं होना चाहिए। यह स्थान हमेशा साफ-सुथरा और खुला रहना चाहिए ताकि सकारात्मक ऊर्जा पूरे घर में समान रूप से फैल सके।
Disclaimer : इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य तथ्यों पर आधारित है। swatantrasamay.com इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता है।