Maharashtra: दो दशकों के लंबे अंतराल के बाद, शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के अध्यक्ष राज ठाकरे एक बार फिर एक मंच पर नजर आएंगे। शनिवार को मुंबई के वर्ली स्थित एनएससीआई डोम में सुबह 10 बजे आयोजित होने वाली एक “महाविजय सभा” में दोनों चचेरे भाई महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्राथमिक स्कूलों में हिंदी भाषा नीति को वापस लेने की जीत का जश्न मनाएंगे। यह आयोजन स्थानीय निकाय चुनावों से ठीक पहले हो रहा है, जो राज्य में एक नए राजनीतिक गठजोड़ की संभावना को दर्शाता है।
हालांकि, इस रैली में कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख नेता शामिल नहीं होंगे। सूत्रों के अनुसार, एनसीपी के संस्थापक शरद पवार और कांग्रेस नेता हर्षवर्धन सपकाल इस संयुक्त रैली से दूरी बनाए रखेंगे। एमएनएस के सूत्रों का कहना है कि सपकाल से संपर्क नहीं हो सका। वहीं, कांग्रेस ने इस रैली में भाग न लेने का फैसला किया है। पार्टी का मानना है कि बीएमसी चुनाव से पहले गैर-मराठी वोटरों को ध्यान में रखते हुए यह रैली उनके लिए जोखिम भरी हो सकती है, भले ही वह हिंदी भाषा नीति का विरोध करती हो।
Maharashtra की तीन भाषा नीति का विवाद
महाराष्ट्र शिक्षा विभाग ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत पहले यह घोषणा की थी कि मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों के लिए हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा के रूप में लागू किया जाएगा। 17 अप्रैल को सरकार ने इस बदलाव को लागू करने के लिए एक औपचारिक प्रस्ताव जारी किया था।
हालांकि, विपक्ष के दबाव के बाद 18 जून को सरकार ने इस नीति की समीक्षा की और एक संशोधित प्रस्ताव जारी किया, जिसमें कहा गया कि हिंदी डिफॉल्ट तीसरी भाषा होगी, लेकिन यदि किसी कक्षा में कम से कम 20 छात्र किसी अन्य भारतीय भाषा को चुनने की मांग करते हैं, तो उन्हें यह विकल्प दिया जाएगा। इसके बाद, 24 जून को भाषा नीति की समीक्षा के लिए एक समिति का गठन किया गया। सरकार ने स्पष्ट किया कि हिंदी अनिवार्य नहीं होगी और अन्य भारतीय भाषाओं को भी अनुमति दी जाएगी।
Maharashtra: महारैली में मराठी संस्कृति का उत्सव
शनिवार की यह रैली नीति की वापसी का उत्सव होगी, बल्कि मराठी भाषा और संस्कृति के प्रति उत्साह को भी प्रदर्शित करेगी। इस आयोजन में मराठी साहित्यकारों, कवियों, शिक्षाविदों, संपादकों, कलाकारों और अन्य प्रमुख हस्तियों की भागीदारी होगी। यह रैली उद्धव और राज ठाकरे के बीच लंबे समय बाद एकजुटता का प्रतीक होगी, जो मराठी अस्मिता के मुद्दे पर एक साथ खड़े नजर आएंगे।यह आयोजन न केवल मराठी भाषा के प्रति लोगों के गर्व को दर्शाएगा, बल्कि आगामी स्थानीय निकाय चुनावों के लिए भी एक महत्वपूर्ण संदेश दे सकता है। हालांकि, कांग्रेस और एनसीपी की अनुपस्थिति इस रैली के राजनीतिक प्रभाव को लेकर कई सवाल खड़े करती है। क्या यह ठाकरे बंधुओं की एकता एक नए राजनीतिक समीकरण की शुरुआत है? यह देखना दिलचस्प होगा कि यह रैली महाराष्ट्र की राजनीति में क्या नया मोड़ लाती है।