कप्तान गिल ने रच दिया इतिहास! 54 साल बाद एक मैच में दोहरा शतक और शतक

भारतीय क्रिकेट के उभरते सितारे शुभमन गिल इस समय अपने करियर के सबसे सुनहरे दौर से गुजर रहे हैं। इंग्लैंड दौरे पर टीम इंडिया की कमान संभालते ही उन्होंने बल्ले से ऐसा प्रदर्शन किया है जिसने पूरी दुनिया का ध्यान खींच लिया है।

एजबेस्टन टेस्ट में गिल ने न केवल दोहरा शतक ठोका, बल्कि दूसरी पारी में भी शानदार शतक जड़कर इतिहास रच दिया है। इस उपलब्धि के साथ वे टेस्ट क्रिकेट में एक अनोखा कीर्तिमान स्थापित करने वाले दुनिया के सिर्फ 9वें और भारत के केवल दूसरे बल्लेबाज बन गए हैं।

269 रन की ऐतिहासिक पारी से मचाया धमाल

एजबेस्टन टेस्ट की पहली पारी में शुभमन गिल का बल्ला जमकर गरजा। उन्होंने शानदार 269 रन बनाकर न सिर्फ इंग्लैंड के गेंदबाजों को ध्वस्त कर दिया, बल्कि टेस्ट क्रिकेट में सबसे बड़ी पारी खेलने वाले भारतीय कप्तान भी बन गए। ये पारी हर लिहाज से ऐतिहासिक थी, तकनीकी परिपक्वता, संयम और आक्रामकता का अद्भुत मिश्रण। कप्तान बनने के बाद गिल की यह पहली बड़ी परीक्षा थी, और उन्होंने इसे शानदार तरीके से पास किया।

दूसरी पारी में भी दिखाया दम, ठोका करियर का आठवां शतक

पहली पारी की थकान और दबाव के बावजूद गिल ने दूसरी पारी में भी वही जोश और आत्मविश्वास बरकरार रखा। जब चौथे दिन भारत का दूसरा विकेट गिरा, तब गिल क्रीज पर आए और बिना किसी हड़बड़ाहट के पारी को आगे बढ़ाया। उन्होंने अपनी लय को बरकरार रखते हुए महज 129 गेंदों में शानदार शतक पूरा किया। यह उनके करियर का 8वां, इस सीरीज का तीसरा और इंग्लैंड के खिलाफ 5वां टेस्ट शतक था।

एक टेस्ट में बना ऐतिहासिक रिकॉर्ड

गिल ने जो उपलब्धि हासिल की है, वह क्रिकेट इतिहास में बेहद दुर्लभ मानी जाती है। टेस्ट क्रिकेट के लगभग 150 वर्षों में सिर्फ 8 बल्लेबाज ही एक ही मैच में दोहरा शतक और शतक जड़ पाए थे, और अब शुभमन गिल इस एलीट क्लब में 9वें सदस्य के रूप में शामिल हो गए हैं। इससे पहले भारत की ओर से यह कमाल सिर्फ एक बार हुआ था, जब 1971 में सुनील गावस्कर ने वेस्टइंडीज के खिलाफ पहली पारी में 124 और दूसरी में 220 रन बनाकर इतिहास रच दिया था।

बतौर कप्तान गिल की चमक और भी खास

गिल की यह उपलब्धि सिर्फ रन के आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बतौर कप्तान उनके नेतृत्व की भी मिसाल है। जहां कप्तानी का दबाव कई युवा खिलाड़ियों को दबा देता है, वहीं गिल ने इसे एक अवसर की तरह लिया और अपने खेल से यह साबित कर दिया कि वह टीम इंडिया के भविष्य के मजबूत स्तंभ हैं। बतौर कप्तान एक टेस्ट मैच में दोहरा शतक और शतक लगाने वाले वे पहले भारतीय खिलाड़ी बन गए हैं, जो इस उपलब्धि को और भी गौरवपूर्ण बना देता है।