Parenting Tips: बच्चे के चिड़चिड़े बात करने पर ऐसे करें हैंडल, वरना हमेशा गुस्से में रहेगा आपका लाड़ला!

Parenting Tips: माता-पिता हमेशा चाहते हैं कि उनके बच्चे खुश रहकर बड़े हों और दुनिया की कोई भी परेशानी उन्हें दुखी न कर सके। लेकिन बच्चों को खुशी-खुशी बड़ा करना कोई आसान काम नहीं है। एक्सपर्ट के मुताबिक, आप न्यूरो पैरेंटिंग (Neuro Parenting) के जरिए अपने बच्चों को खुशहाल और बैलेंस तरीके से बड़ा कर सकते हैं।

एक्सपर्ट का मानना है कि बच्चे की परवरिश को तीन अलग-अलग उम्र के स्टेज में समझना और उसी के हिसाब से अपनाना चाहिए। पहला स्टेज है 0 से 5 साल तक का समय, जब बच्चे को बहुत प्यार और सुरक्षित माहौल देना सबसे जरूरी होता है। इस उम्र में बच्चे का अवचेतन मन बहुत तेजी से विकसित होता है। इसलिए बच्चों के आस-पास का माहौल शांत और प्यार भरा होना चाहिए। खुद माता-पिता ही बच्चे की देखभाल करें, क्योंकि नैनी या दूसरे लोग बच्चे की भावनाओं को सही तरीके से नहीं समझ पाते।

दूसरा स्टेज है 5 से 13 साल का, जब बच्चे की पर्सनैलिटी बनती है। इस दौरान बच्चे को अच्छे संस्कार देना और सकारात्मक आदतें सिखाना बहुत जरूरी है। बच्चे का दिमाग पूरी तरह विकसित नहीं होता, इसलिए उनके साथ खेलना, उनकी बात सुनना, और एक शांति भरा माहौल बनाना चाहिए। साथ ही बच्चों से उनकी पढ़ाई, दोस्ती और दिनभर की बातों पर चर्चा करना चाहिए।

तीसरा और सबसे चुनौती भरा स्टेज होता है 13 से 18 साल का teenage का समय। इस उम्र में बच्चे मोबाइल और बाहरी दुनिया में ज्यादा समय बिताते हैं और गलत संगत का खतरा भी होता है। इसलिए इस वक्त माता-पिता को बच्चे के दोस्त बनकर उसके साथ जेंटल (नरम) रवैया रखना चाहिए। साथ ही बच्चे के करियर और भविष्य को लेकर उनकी मदद करनी चाहिए, ताकि वे सही रास्ते पर चलें।

एक्सपर्ट के अनुसार, इस लाड़-प्यार, ताड़ना और दोस्ती का सही बैलेंस बच्चों को खुश और आत्मविश्वासी बनाता है। न्यूरो पैरेंटिंग से बच्चे न सिर्फ समझदार बनते हैं, बल्कि उनका बचपन भी खुशहाल गुजरता है। इसलिए हर माता-पिता को इन सरल लेकिन प्रभावी तरीकों को अपनाना चाहिए ताकि उनके बच्चे स्वस्थ, खुश और सफल जीवन जिएं।