देशभर में 9 जुलाई 2025 को केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध में आम हड़ताल का आयोजन किया गया है। इस हड़ताल में बैंकिंग, बीमा, टेलीकॉम, आयकर, रक्षा, कोयला, पोस्ट ऑफिस, आशा वर्कर और आंगनवाड़ी जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के कर्मचारी भाग लेंगे। हड़ताल का व्यापक असर मध्यप्रदेश समेत पूरे देश के केंद्रीय कार्यालयों में देखने को मिलेगा।
मध्यप्रदेश में ठप रहेगा अधिकांश केंद्रीय संस्थानों का कामकाज
हड़ताल के दिन मध्यप्रदेश में भी बैंकिंग सेवाओं से लेकर डाक सेवाएं तक प्रभावित रहेंगी। ऑल इंडिया बैंक एम्प्लाईज एसोसिएशन (AIBEA) समेत कई यूनियनों ने समर्थन देकर हड़ताल को और मजबूत बना दिया है। बैंक, बीमा, BSNL, और आयकर विभाग के कर्मचारी पूरे दिन कार्य से विरत रहेंगे।
10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों की अगुवाई में होगा आंदोलन
इस आंदोलन को 10 प्रमुख केंद्रीय श्रमिक संगठनों और विभिन्न ट्रेड यूनियनों का समर्थन मिला है। इन संगठनों ने 17 सूत्रीय मांगों को लेकर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। इन मांगों में न्यूनतम वेतन, पुरानी पेंशन योजना की बहाली, निजीकरण पर रोक, और सभी कर्मचारियों के लिए समान वेतन जैसी बातें शामिल हैं।
8 जुलाई को होंगे धरने और सभाएं
बैंक यूनियन लीडर वी.के. शर्मा ने जानकारी दी कि हड़ताल से एक दिन पहले, 8 जुलाई को देशभर में विभिन्न प्रदर्शन, सभाएं और जन जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे। इन आयोजनों का उद्देश्य कर्मचारियों की आवाज़ को सरकार तक पहुंचाना है।
हड़ताल की मुख्य मांगें – जानिए क्या चाहते हैं कर्मचारी
1. बैंकों और बीमा कंपनियों का निजीकरण रोका जाए
2. आउटसोर्सिंग की प्रक्रिया पर रोक लगे
3. चारों नई श्रम संहिताएं वापस ली जाएं
4. न्यूनतम वेतन ₹26,000 किया जाए
5. ₹9,000 प्रति माह न्यूनतम पेंशन सुनिश्चित की जाए
6. पुरानी पेंशन स्कीम बहाल की जाए
7. ट्रेड यूनियन अधिकारों की रक्षा की जाए
बैंक कर्मचारी संगठन ने की हड़ताल को सफल बनाने की अपील
मध्यप्रदेश बैंक एम्प्लाइज एसोसिएशन के चेयरमैन मोहन कृष्ण शुक्ला ने सभी बैंक कर्मचारियों से हड़ताल में पूरी तरह से सहयोग करने की अपील की है। उन्होंने इसे न केवल वित्तीय संस्थाओं की सुरक्षा, बल्कि कर्मचारियों के अधिकारों की लड़ाई बताया।
दुनिया की सबसे बड़ी हड़ताल बन सकती है यह आंदोलन
बताया जा रहा है कि इस हड़ताल में करीब 18 करोड़ कर्मचारी, मजदूर, किसान और महिला कार्यकर्ता शामिल हो सकते हैं। यदि यह अनुमान सही साबित होता है, तो यह हड़ताल विश्व इतिहास की सबसे बड़ी जनहड़तालों में शुमार हो सकती है।