इंदौर शहर के विकास की एक बड़ी कड़ी मानी जा रही 64 किलोमीटर लंबी पश्चिमी रिंग रोड बनने में अब और अधिक देरी होने वाली है जिसका कारण मुआवजा और मौसम बन गया है। जिससे अब यह योजना जमीन पर आने पर और अधिक समय लगाएंगी। शिप्रा से पीथमपुर नेट्रेक्स तक प्रस्तावित इस सड़क के निर्माण में किसानों को मुआवजा राशि देने में आई अड़चनों के कारण काम ठप है। इसके साथ ही बरसात में निर्माण एजेंसियों की मशीनों को फिलहाल थाम दिया है।
90 प्रतिशत मुआवजा देने पर शुरू होगा काम
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) का साफ कहना है कि जब तक 90 प्रतिशत किसानों को मुआवजा नहीं दे दिया जाता, तब तक निर्माण कार्य शुरू नहीं होगा। अभी तक केवल 30% किसानों के बैंक खाते में ही एफआईसी कोड ही जमा हो पाए हैं।
नई गाइडलाइन के अनुसार दिया जाएंगा मुआवजा
किसानों को मिलने वाला मुआवजा बढ़ा दिया गया है। शुरुआत में परियोजना के लिए करीब 600 करोड़ रुपये का मुआवजा तय किया गया था, लेकिन किसानों के विरोध के बाद कलेक्टर आशीष सिंह ने नई गाइडलाइन के आधार पर इस राशि को बढ़ाकर करीब 1000 करोड़ रुपये कर दिया। बताया जा रहा है कि 26 मई को भूमि अधिग्रहण के अवार्ड पारित हुए और 25 जून को एनएचएआई ने फंड भी जारी कर दिया, लेकिन अभी भी 998 किसानों के बैंक डिटेल्स नहीं मिल पाए हैं।
मौसम भी बना बाधा
बरसात ने निर्माण की संभावनाओं पर फिलहाल ब्रेक लगा दिया है। एनएचएआई के मुताबिक, बरसात खत्म होने के बाद ही मशीनें फिर से काम शुरू कर पाएंगी। जिसके चलते बारिश के दिनों में अब निर्माण कार्य करना संभव नहीं हो पाएंगा। यहीं देखा जाएं तो यहां पर 570.5678 हेक्टेयर निजी जमीन अधिग्रहित की जाएंगी। इसके साथ ही 98.5133 हेक्टेयर शासकीय जमीन भी परियोजना में आएगी। यहां पर 795 करोड़ रुपये इंदौर जिले के किसानों को मुआवजा दिया जाएंगा। इससे 998 किसान प्रभावित होंगे। यहां पर तीन तहसीलों के 26 गांवों में भूमि अधिग्रहण किया जाएंगा।
सबसे ज्यादा मुआवजा सांवेर को
पश्चिमी रिंग रोड़ के निर्माण के दौरान लगभग 473 करोड़ रुपये सिर्फ सांवेर तहसील के 512 किसानों को दिए जाएंगे। यह एक बड़ी राशी है। इसके साथ ही देपालपुर के 5 गांवों को 140 करोड़ और हातोद तहसील के 12 गांवों को 182 करोड़ मिलेगा
तेजी से चल रहा है मुआवजा वितरण का कार्य
हातोद एसडीएम ने बताया कि किसानों से खाता नंबर और एफआईसी कोड लेने का काम तेजी से चल रहा है। अब तक करीब 30% खाता नंबर मिल चुके हैं। पटवारी घर-घर जाकर जानकारी इकट्ठा कर रहे हैं। यहीं प्रोजेक्ट डायरेक्टर सुमेश बांझल का कहना है कि जैसे ही 90% जमीन का स्वामित्व मिल जाएगा, काम शुरू कर दिया जाएगा। “हम चाहते हैं कि किसानों को एक क्लिक में पैसा मिले, इसके लिए पूरी तैयारी है ।