मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले से एक बार फिर चिंताजनक खबर सामने आई है। प्रसिद्ध धार्मिक स्थल बागेश्वर धाम में मंगलवार, 8 जुलाई को एक बड़ा हादसा हुआ है। यहां स्थित एक धर्मशाला की दीवार अचानक गिर गई, जिससे एक महिला श्रद्धालु की मौके पर ही मौत हो गई। हादसा इतना अचानक हुआ कि लोग कुछ समझ पाते, उससे पहले अफरा-तफरी मच गई।
हादसे में 11 श्रद्धालु घायल, अस्पताल में भर्ती
दीवार गिरने की इस घटना में कम से कम 11 अन्य श्रद्धालु घायल हो गए हैं, जिनमें से कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है। घायलों को फौरन नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पुलिस और प्रशासन की टीम मौके पर मौजूद है और बचाव कार्य तेजी से चल रहा है। मौके पर भीड़ को नियंत्रित करने और किसी दूसरी अनहोनी को रोकने के लिए सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं।
प्रशासन सतर्क, हादसे की जांच शुरू
हादसे की जानकारी मिलते ही स्थानीय पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी तुरंत मौके पर पहुंच गए। राहत और बचाव कार्यों के साथ-साथ यह जांच भी शुरू कर दी गई है कि आखिर दीवार गिरने की वजह क्या थी। प्रशासन का कहना है कि संरचनात्मक कमजोरी, बारिश या भीड़ का दबाव, किसी भी कारण को फिलहाल नजरअंदाज नहीं किया जा रहा है। घटना को लेकर आसपास के श्रद्धालुओं में भय और दुख का माहौल है।
इससे पहले भी हो चुका है हादसा – 3 जुलाई की घटना
गौरतलब है कि महज कुछ दिन पहले 3 जुलाई को भी बागेश्वर धाम में एक बड़ा हादसा हो चुका है। उस दिन मंदिर परिसर में तेज बारिश के दौरान लगाए गए टेंट का एक हिस्सा गिर गया था। टेंट के लोहे का एंगल गिरकर एक श्रद्धालु श्यामलाल कौशल (50 वर्ष) के सिर पर लग गया था, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई थी। इस भगदड़ में कम से कम आठ श्रद्धालु घायल हो गए थे।
तेज बारिश बनी हादसे की वजह, भीड़ पर काबू नहीं
3 जुलाई की घटना सुबह करीब 7 बजे की थी, जब बागेश्वर धाम में आरती के बाद अचानक तेज बारिश शुरू हो गई थी। बारिश से बचने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु टेंट के नीचे जमा हो गए थे। बारिश और हवा के दबाव में टेंट का एक हिस्सा गिर गया, जिससे भगदड़ मच गई और दर्दनाक हादसा हुआ।
लगातार हो रहे हादसे सवाल खड़े करते हैं
लगातार हो रही इन दुर्घटनाओं ने धार्मिक आयोजनों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। बागेश्वर धाम जैसे अत्यधिक भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर प्रशासन और आयोजकों को और सतर्क रहने की जरूरत है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं रोकी जा सकें। श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।