गुरुपूर्णिमा के पावन अवसर पर इस बार भैरवगढ़ जेल एक आध्यात्मिक ऊर्जा से भरने जा रही है। इंदौर के प्रसिद्ध आध्यात्मिक मार्गदर्शक कृष्णा गुरुजी इस विशेष दिन को “मार्गदर्शक दिवस” के रूप में उज्जैन की भैरवगढ़ जेल में बंदी भाइयों के साथ मनाएंगे। यह कार्यक्रम कृष्णा गुरुजी सोशल वेलफेयर सोसाइटी के तत्वावधान में आयोजित किया जाएगा।
जेल परिसर में मनाते है गुरूपूर्णिमा
कृष्णा गुरुजी पिछले कई वर्षों से गुरुपूर्णिमा को जेल परिसर में जाकर मनाते आए हैं। उनका उद्देश्य है, अज्ञानता के अंधकार में फंसे उन आत्माओं तक गुरु के ज्ञान का प्रकाश पहुंचाना, जिन्हें समाज ने भुला दिया है। वे मानते हैं कि जब जीवन रास्ता भटक जाए, तब गुरु ही वह दीप होता है जो दिशा दिखाता है।
कलियुग में क्यों महत्वपूर्ण है गुरुपूर्णिमा?
गुरु न केवल शिक्षा देते हैं, बल्कि आत्मा को उसके उद्देश्य का बोध कराते हैं। कृष्णा गुरुजी का मानना है कि आज के युग में, जहां भौतिकता ने जीवन को जकड़ लिया है, वहां गुरु की भूमिका पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। गुरुपूर्णिमा सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि आत्मचिंतन, आत्मदर्शन और आत्मविकास का दिन है।
इस दिन बंदी भाइयों को गुरु तत्व का महत्व, जीवन में सकारात्मक परिवर्तन की दिशा और अध्यात्म की शक्ति से अवगत कराया जाएगा। कार्यक्रम में भजन, ध्यान, संकल्प और आध्यात्मिक प्रवचनों के माध्यम से एक नई ऊर्जा का संचार होगा।
गोशाला में भी गो प्रसादी का आयोजन
कार्यक्रम के अंतर्गत जेल परिसर स्थित गोशाला में गोमाता की सेवा एवं बंदी भाइयों के साथ गो-प्रसादी वितरण भी किया जाएगा। यह सेवा न केवल आध्यात्मिक शांति देती है, बल्कि व्यक्ति के भीतर करूणा और सेवा की भावना को भी जगाती है।
कृष्णा गुरुजी का संदेश
कृष्णा गुरुजी का यह प्रयास हमें याद दिलाता है कि हर इंसान के भीतर एक प्रकाश है, जिसे जगाने के लिए सिर्फ सही मार्गदर्शन की जरूरत होती है। गुरुपूर्णिमा एक ऐसा ही अवसर है, जब हम आत्मा के दर्पण में झांक सकते हैं और अपने जीवन को पूर्णता की ओर ले जा सकते हैं।