सावन में बेलपत्र चढ़ाना क्यों है खास? जानिए शिव भक्ति में इसकी अहम भूमिका

भगवान शिव की पूजा को बेलपत्र के बिना अधूरा माना जाता है। भोलेनाथ को अर्पित की जाने वाली वस्तुओं में बेलपत्र का स्थान सर्वोच्च है। विशेष रूप से सावन के पवित्र महीने में, जब शिव की उपासना का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है, तब बेलपत्र अर्पण का पुण्य भी कई गुना बढ़ जाता है। यह न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि आध्यात्मिक और आयुर्वेदिक गुणों के कारण भी महत्वपूर्ण माना जाता है।

सावन में बेलपत्र क्यों है अति पूजनीय?

पूरे वर्ष भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र का स्थान महत्वपूर्ण होता है, लेकिन सावन के महीने में इसका महत्व विशेष हो जाता है। माना जाता है कि इस माह में बेलपत्र अर्पित करने से भक्त को अक्षय पुण्य प्राप्त होता है और भगवान शिव की कृपा बनी रहती है। यह पत्र केवल एक पूजा सामग्री नहीं, बल्कि सौभाग्य, आरोग्य और शांति का प्रतीक है।

शिव को बेलपत्र इतना प्रिय क्यों है?

भगवान शिव को बेलपत्र क्यों प्रिय है, इसके पीछे कई धार्मिक कथाएं और मान्यताएं प्रचलित हैं। इसका प्रमुख कारण यह है कि बेलपत्र शीतलता प्रदान करता है और शिव के लिए शांतिदायक माना गया है।

बेलपत्र से जुड़ी पौराणिक कथाएं

कालकूट विष और बेलपत्र का संबंध

समुद्र मंथन के दौरान जब कालकूट विष उत्पन्न हुआ, तो समस्त देवता और असुर उसकी तीव्रता से व्याकुल हो उठे। भगवान शिव ने सृष्टि की रक्षा हेतु उस विष को अपने कंठ में धारण किया, जिससे उनका गला जलने लगा। इस तपन को शीतलता देने के लिए देवताओं ने उन्हें जल और बेलपत्र अर्पित किए, जिससे उन्हें राहत मिली। तभी से शिव को बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा प्रारंभ हुई।

माता पार्वती की तपस्या

दूसरी कथा के अनुसार माता पार्वती ने वर्षों जंगल में कठोर तप किया, जिसमें उन्होंने बेलपत्र चढ़ाकर भगवान शिव को प्रसन्न किया था। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर शिव ने पार्वती को पत्नी रूप में स्वीकार किया। इसी से शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा आरंभ हुई।

धार्मिक मान्यताओं में बेलपत्र का विशेष स्थान

स्कंद पुराण के अनुसार बेल का वृक्ष माता पार्वती के पसीने से उत्पन्न हुआ था। इसीलिए इसे अत्यंत पवित्र माना गया है। इसमें देवी लक्ष्मी का वास भी बताया गया है। बेलपत्र को शिव पर अर्पित करने से धन, सौभाग्य और सुख की प्राप्ति होती है। शिव पुराण में भी उल्लेख है कि बेलपत्र के दर्शन, स्पर्श और अर्पण से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति संभव होती है।

बेलपत्र में त्रिदेवों और त्रिनेत्र का प्रतीक

बेलपत्र के तीन पत्तों को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माना जाता है, इसीलिए इसे देवों के देव महादेव को अर्पित करना अत्यंत शुभ होता है। यही नहीं, इसके त्रिपत्र स्वरूप को शिव के त्रिनेत्र का भी प्रतीक माना जाता है। साथ ही, यह तीन गुणों सत्व, रज और तम का भी प्रतिनिधित्व करता है, जो सृष्टि के संचालन का आधार हैं।

बेलपत्र के आयुर्वेदिक लाभ

बेलपत्र न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि औषधीय गुणों से भी भरपूर होता है। इसमें एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण पाए जाते हैं। यह शरीर को शीतलता प्रदान करता है और पाचन संबंधी समस्याओं में लाभकारी होता है। गर्मी और विष के प्रभाव को शांत करने में यह अत्यंत उपयोगी है। इसलिए जब भगवान शिव ने विषपान किया था, तब बेलपत्र उनके शरीर पर चढ़ाया गया था, जिससे उन्हें ठंडक और राहत मिली।

Disclaimer : इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य तथ्यों पर आधारित है। swatantrasamay.com इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता है।