उज्जैन की पावन धरा पर स्थित भैरवगढ़ जेल का माहौल गुरुपूर्णिमा के अवसर पर कुछ खास था। इंदौर से पधारे आध्यात्मिक मार्गदर्शक कृष्णा गुरुजी की उपस्थिति में जेल परिसर गुरु कृपा की ऊर्जा से ओतप्रोत हो उठा। इस विशेष दिन को “मार्गदर्शक दिवस” के रूप में मनाया गया, जिसमें बंदी भाइयों ने आत्ममंथन और आत्मबोध की दिशा में एक नई शुरुआत की।
कार्यक्रम का शुभारंभ सामूहिक गुरुपूजा से हुआ, जिसमें सभी बंदी भाइयों ने श्रद्धा के साथ भाग लिया। कृष्णा गुरुजी ने अपने उद्बोधन में कहा, कि
गुरुपूर्णिमा जीवन की पूर्णता का प्रतीक है। कलियुग में जब दिशाहीनता और अज्ञानता का अंधकार व्याप्त हो, तब एक सच्चे गुरु का प्रकाश जीवन को नया मार्ग दिखाता है।
कैदियों से पूछे उनके गुरू के नाम
कृष्णा गुरूजी ने कैदियों को आत्मचिंतन का आह्वान करते हुए पूछा कि “कभी अपने आप से बात की है कि आपका गुरु कौन है?” गुरुजी के शब्दों ने कैदियों के हृदय को झकझोर दिया। उन्होंने कहा, कि “कारावास का कारण कोई और नहीं, स्वयं का ही निर्णय, स्वयं की दिशा ही है। जब जीवन में सही मार्गदर्शन नहीं मिलता, तभी क्रोध, प्रतिशोध और अंधकार मनुष्य को निगल जाते हैं।
आत्मबोध की यात्रा
गुरुजी ने सभी को गुरुमंत्र की शक्ति को आत्मसात करने और जीवन को एक नई दिशा देने का संकल्प दिलाया। जैसे ही भजन “तेरी करम कहानी तेरी आत्मा ही जाने, परमात्मा ही जाने…” गूंजा, बंदी भाइयों की आंखों से पश्चाताप के आंसू छलक पड़े। यह भावनाओं का ज्वार था कि आत्मग्लानि से आत्मबोध तक की यात्रा का।
कृष्णा गुरुजी ने आगे कहा
“जब तक आप कारावास में हैं, अनुशासन में रहिए। पर मैं हर साल आता रहूंगा कि आप का ध्यान, ज्ञान और सुमिरन के माध्यम से आपके विवेक को जागृत कर सकूं। और जिस दिन आप बाहर आएं, मैं आपका इंतज़ार करूंगा कि एक जिम्मेदार और सजग नागरिक के रूप में आप ने नवजीवन की शुरूआत की।
रुद्राक्ष की माला
कार्यक्रम के अंत में गुरुजी ने प्रत्येक बंदी भाई के गले में महाकाल द्वारा अभिमंत्रित रुद्राक्ष की माला स्वयं अपने हाथों से पहनाई। इसके पश्चात सभी ने जेल परिसर की गौशाला में जाकर गो-ग्रास अर्पित किया – एक प्रेम, सेवा और आत्मशुद्धि की भावना से ओतप्रोत क्षण। यहां बंदी भाइयों ने संकल्प लिया कि “अब से अपराध नहीं करेंगे। सेवा उनका मार्ग होगा। हम अच्छे नागरिक बनकर समाज की मुख्यधारा से जुड़ेंगे।
टूटे हुए जीवन के लिए है आशा की किरण
इस प्रेरणास्पद आयोजन में जेल अधीक्षक मनोज साहू , जेलर गोयल व डाबर विशेष रूप से उपस्थित रहे। साथ ही सोशल वेलफेयर से अनिल कुमार, सुनील जैन, गुड्डी जैन, राकेश बजाज, तृप्ति बजाज, पिंकू यादव व अशोक गोलाने जैसे गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति ने आयोजन को और गरिमा प्रदान की। गुरुपूर्णिमा का यह आयोजन न केवल एक धार्मिक उत्सव था, बल्कि यह उन टूटे हुए जीवनों के लिए आशा, प्रेरणा और पुनर्निर्माण की नई शुरुआत थी।