पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने उनके खिलाफ हनी ट्रैप मामले में सीबीआइ जांच कराने की मांग वाली जनहित याचिका खारिज कर दी। जस्टिस विवेक रुसिया और जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी की युगलपीठ ने उनके पास भाजपा नेताओं की पैन ड्राइव होने के बयान के सबूत नहीं होने के चलते ये याचिका खारिज कर दी है।
एडवोकेट भूपेंद्रसिंह ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी। इसमें नाथ पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने बयान दिया था कि उन्होंने हनी ट्रैप की वीडियो देखी है और उनके पास भाजपा नेताओं की पैन ड्राइव मौजूद है। लेकिन उन्होंने इस मामले की जांचकर्ता एसआइटी को ये नहीं सौंपी थी। उनके पास इस मामले से जुड़े सबूत होने के बाद में भी वे सच्चाई को छिपा रहे हैं।
इस याचिका में उन्होंने पुलिस, एसआइटी के साथ नाथ और पूर्व मंत्री गोविंद सिंह को पार्टी बनाया था। वर्ष 2023 में दायर इस याचिका पर बीते 10 जुलाई को सुनवाई हुई। जिसमें हाईकोर्ट ने कहा कि किसी राजनेता के राजनीतिक बयान को गंभीरता से नहीं लिया जा सकता। याचिकाकर्ता ने समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों के आधार पर याचिका दायर की थी।
साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाए याचिकाकर्ता
कोर्ट ने सिंह के वकील से इस बयान के तथ्यों को लेकर जानकारी मांगी थी। कोर्ट में उनके वकीलों ने बताया कि इस बयान के वीडियो कई मीडिया चैनल और अन्य जगह पर चले हैं। यही नहीं, ऐसी खबरें भी प्रकाशित हुईं। वहीं कोर्ट ने उनके बयान की सीडी कोर्ट में पेश नहीं करने को लेकर भी सवाल उठाए। कोर्ट ने इस दौरान मीडिया रिपोर्ट के आधार पर इस तरह से आरोप लगाने को गलत माना और अपने आदेश में लिखा कि याचिका में आरोप लगाए गए, लेकिन उसके साक्ष्य कोर्ट में नहीं रखे। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।
‘क्या, आप वहां थे..?’
कोर्ट में बहस के दौरान बयान को लेकर याचिकाकर्ता की ओर से लगातार इस बात को रखा जा रहा था कि कमलनाथ के पास हनीट्रैप से संबंधित कई सबुत है। इसका बयान उन्होने दिया है। तो कोर्ट ने सीधे याचिकाकर्ता से पूछ लिया कि जब स्टेटमेंट दिया था, तब आप वहां थे, क्या आप वहां थे? वकील ने इस बात से इंकार कर दिया। वहीं साक्ष्य के अभाव व ठोस स्टेटमेंट की कोई वीडियों याचिकाकर्ता के पास ना मिलने से हाईकोर्ट ने केस खारिज कर दिया।