Aankhon Ki Gustaakhiyan रिव्यू: शनाया कपूर ने किया इम्प्रेस, विक्रांत ने अपनी एक्टिंग से छू लिया दिल

Aankhon Ki Gustaakhiyan: बॉलीवुड में नए चेहरों का स्वागत हमेशा खास होता है, और इस बार बारी है शनाया कपूर की। संजय कपूर और महीप कपूर की बेटी शनाया ने अपनी पहली फिल्म “आंखों की गुस्ताखियां” से अभिनय की दुनिया में कदम रखा है। यह फिल्म न सिर्फ उनके करियर की शुरुआत है, बल्कि यह दर्शकों को एक नया अनुभव भी देती है।

Aankhon Ki Gustaakhiyan: कहानी में रोमांस और रहस्य का मिश्रण

आंखों की गुस्ताखियां एक रोमांटिक-ड्रामा है, जिसमें आंखों से शुरू हुई एक प्रेम कहानी धीरे-धीरे रहस्य और भावनाओं के जाल में उलझती जाती है। फिल्म की कहानी दो अलग-अलग दुनिया से आए किरदारों के इर्द-गिर्द घूमती है – एक सीधी-सादी लड़की (शनाया कपूर) और एक रहस्यमयी युवक। कहानी में रोमांस, भावनाएं और कुछ अप्रत्याशित मोड़ दर्शकों को बांधे रखते हैं।

शनाया कपूर की दमदार शुरुआत

शनाया कपूर ने इस फिल्म के जरिए साबित किया है कि वह सिर्फ एक फिल्मी परिवार से होने के कारण नहीं, बल्कि अपनी मेहनत और अभिनय क्षमता से इंडस्ट्री में आई हैं। उनका स्क्रीन प्रेज़ेंस प्रभावशाली है और भावनात्मक दृश्यों में उन्होंने अच्छी पकड़ दिखाई है। कैमरे के सामने उनकी सहजता और आत्मविश्वास फिल्म का मुख्य आकर्षण है।

विशेष रूप से एक दृश्य जिसमें उनके किरदार को आंखों के माध्यम से अपने जज़्बात व्यक्त करने होते हैं – वह दर्शकों को गहराई से छूता है। शायद यही कारण है कि फिल्म का शीर्षक “आंखों की गुस्ताखियां” उनके किरदार पर पूरी तरह फिट बैठता है।

Aankhon Ki Gustaakhiyan: निर्देशन और तकनीकी पक्ष

फिल्म का निर्देशन सधा हुआ है। निर्देशक ने नायिका की पहली फिल्म को संतुलित तरीके से पेश किया है, न तो ज़्यादा नाटकीय और न ही बोरिंग। सिनेमैटोग्राफी खूबसूरत है, खासकर क्लोज़-अप शॉट्स में जो “आंखों” के इमोशंस को और प्रभावशाली बनाते हैं। बैकग्राउंड म्यूज़िक और गाने भी कहानी को अच्छी तरह सपोर्ट करते हैं।

सह-कलाकारों की भूमिका

फिल्म में शनाया के अपोज़िट नए अभिनेता ने भी अच्छा काम किया है, हालांकि कहानी का पूरा भार शनाया के कंधों पर है और उन्होंने इसे बखूबी निभाया है। सह-कलाकारों ने भी अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय किया है और फिल्म को मजबूती प्रदान की है।