मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले से एक दुखद खबर सामने आई है। थांदला तहसील के ढेबर बड़ी गांव में खेतों के पास 11 मोर मृत अवस्था में पाए गए। गुरुवार को जैसे ही यह सूचना वन विभाग को मिली, विभाग की टीम मौके पर पहुंची और सभी मृत मोरों के शवों को मेघनगर ले जाया गया।
पोस्टमार्टम और नमूनों की जांच
वन अधिकारियों ने बताया कि मोरों का पोस्टमार्टम झाबुआ के पशु चिकित्सालय में कराया गया है। इसके साथ ही, उनके विसरा (आंतरिक अंगों) के नमूने जांच के लिए लैब भेजे गए हैं ताकि मौत की असली वजह का पता लगाया जा सके। फिलहाल, प्रथम दृष्टया आशंका जताई जा रही है कि मोरों की मौत कीटनाशक युक्त भोजन से हुई हो सकती है।
अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज
झाबुआ के प्रभागीय वन अधिकारी (DFO) सुनील सुलिया ने बताया कि इस मामले में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है और जांच शुरू कर दी गई है। पोस्टमार्टम के बाद, स्थानीय अदालत की अनुमति से सभी मोरों को दफन कर दिया गया।
झाबुआ में मोरों की बड़ी संख्या
आदिवासी बहुल झाबुआ जिले के पेटलावद, थांदला और झाबुआ तहसीलों में मोरों की संख्या काफी अधिक है। किसान अक्सर फसलों को जानवरों और पक्षियों से बचाने के लिए कीटनाशकों का छिड़काव करते हैं। एक पर्यावरणविद् ने बताया कि कई बार मोर इन जहरीली फसलों को खा लेते हैं, जिससे उनकी मौत हो जाती है।
‘मोरों के लिए अभयारण्य की जरूरत’
जिला पर्यावरण वाहिनी के संयोजक दिलीप सिंह ने कहा कि झाबुआ जिले में मोरों के संरक्षण के लिए कोई ठोस योजना लागू नहीं है। उन्होंने वन विभाग से मांग की है कि जिले में मोरों के लिए एक अभयारण्य बनाया जाए ताकि उनकी रक्षा हो सके और इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाई जा सके।