राठौर परिवार की  अभूतपूर्व पहल- “पगड़ी रस्म के साथ रक्तदान” कार्यक्रम 14 जुलाई को 9.30 से होगा शुरू

संसार के जीवनचक्र में हर किसी के जीवन में ऐसे भावुक और गमगीन पल आते है जब किसी के जाने के गम से परिवार व्याकुल हो उठता है। इस दुनिया को अलविदा कहने वाले अपने प्रियजन की यादे ही शेष रह जाती है। जब किसी प्रियजन की याद में श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है, तो भावनाएं अक्सर अश्रुओं में बह जाती हैं। लेकिन कभी-कभी यहीं शोक सेवा में बदलकर समाज के लिए जीवनदायिनी मिसाल बन जाती है।

ऐसी ही एक अभूतपूर्व पहल राठौर परिवार कर रहा है। इंदौर की पत्रकारिता में एक मुकाम हासिल करने वाले राठौर परिवार ने एक बार फिर परिवार के शोक को एक सेवा भाव में बदलने के निर्णय लेते हुए पगड़ी रस्म के साथ रक्तदान शिविर का आयोजन किया है। इससे पहले राठौर परिवार ने स्वर्गीय मनोज राठौर की पगड़ी रस्म पर रक्तदान शिविर आयोजित करके समाज को एक नई दिशा दिखाई थी। जिसके सुत्रधार थे वरिष्ठ पत्रकार राजेश राठौर, जो कि वर्तमान में स्वतंत्र समय दैनिक अखबार के प्रबंधक एंव समय नाऊ चैनल के चैनल हैड के रुप में समाज को नई दिशा दिखाने के लिए लगातार प्रयासरत्त है।

14 जुलाई को हो पगड़ी रस्म और रक्तदान शिविर
राठौर परिवार के द्वारा पगड़ी रस्म कार्यक्रम 14 जुलाई को रखा गया है। इसी दिन सुबह 9.30 बजे से रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया है। इस दिन वरिष्ठ पत्रकार अर्जून राठौर की धर्मपत्नी और पत्रकार राजेश राठौर की काकी, किरण राठौर का 2 जुलाई को निधन हो गया। स्वर्गीय किरण राठौर न सिर्फ राठौर संदेश पत्रिका की प्रधान संपादक थीं, बल्कि समाजसेवा में भी अग्रणी थीं। उनके जाने का ग़म गहरा है, लेकिन राठौर परिवार ने इस शोक को एक सकारात्मक दिशा दी है।

माहेश्वरी धर्मशाला पर है कार्यक्रम
14 जुलाई, सोमवार को उनकी पगड़ी रस्म के अवसर पर रक्तदान शिविर का आयोजन किया जा रहा है। सुबह 9:30 बजे, महेश नगर स्थित माहेश्वरी धर्मशाला में यह शिविर लगाया जाएगा। इस शिविर में समाज के हर वर्ग का व्यक्ति शामिल होकर रक्तदान कर सकता है। यह आयोजन सिर्फ श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि किसी जरूरतमंद को जीवन का उपहार देने का एक जरिया है।

नई परंपरा की हुई है शुरूआत
राठौर परिवार की यह परंपरा अब एक आंदोलन का रूप लेती दिख रही है। यह जो बताती है कि दुख में भी सेवा की लौ लगाई जा सकती है। जहां आमतौर पर लोग पगड़ी रस्म को सिर्फ पारंपरिक रीति से निभाते हैं, वहीं राठौर परिवार ने इसे “रक्तदान की पुकार” बना दिया है। यह सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि उन अनगिनत मरीजों और उनके परिजनों के लिए जीवन की उम्मीद है जो हर दिन रक्त की तलाश में भटकते हैं। तो आप भी इस पुनीत कार्य का हिस्सा बनिए। क्योंकि असली श्रद्धांजलि वही है, जो किसी के जीवन में उजाला ला सके।