कपिल सिब्बल का हमला: ईसी-भाजपा की जोड़ी भारत में बहुसंख्यक शासन की तैयारी में

कपिल सिब्बल : बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण को लेकर राजनीति गरमाई हुई है। विपक्षी पार्टियां भाजपा और चुनाव आयोग पर सवाल उठा रही हैं। राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा कि यह काम NRC वापस लाने की तैयारी है और इससे भारत में बहुसंख्यक शासन लागू होगा। उन्होंने भाजपा और मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वे किसी और को सत्ता में नहीं आने देना चाहते। सिब्बल ने महाराष्ट्र का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां वोटों की संख्या बढ़ाई गई, जबकि बिहार में घटाई जा रही है । उनका कहना है कि चुनाव आयोग भाजपा के साथ मिलकर काम कर रहा है।

मतदाता गणना फॉर्म में 75% की भरपाई

बिहार में मतदाता सूची सुधार का काम तेजी से चल रहा है। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, अब तक लगभग 75% मतदाताओं ने अपने गणना फॉर्म जमा कर दिए हैं। बिहार में लगभग 7.9 करोड़ मतदाता हैं। अब तक 74.39% लोगों ने अपना फॉर्म जमा कर दिया है। फॉर्म जमा करने का काम अभी चल रहा है और आखिरी तारीख में अभी 14 दिन बाकी हैं। इसका मतलब है कि अभी भी कई लोग अपना फॉर्म जमा कर सकते हैं।

SIR विवाद से पूरे भारत में सियासी लड़ाई तेज

बिहार में मतदाता सूची सुधार को लेकर सिर्फ बिहार ही नहीं, पूरे देश में राजनीति गरमाई है। कई पार्टियां मोदी सरकार और चुनाव आयोग पर सवाल उठा रही हैं। उनका कहना है कि भाजपा चुनाव से पहले वोटरों की संख्या में हेरफेर कर रही है ताकि चुनाव में फायदा हो सके। इस विवाद की वजह से मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। हालांकि कोर्ट ने कुछ सलाह देते हुए इस प्रक्रिया को जारी रखने की अनुमति दे दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा इस मामले पर?

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में मतदाता सूची सुधार के मामले में गुरुवार को सुनवाई की। कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड जैसे दस्तावेज सही मानकर काम किया जाए। इस साल के अंत में बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं। जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जयमाल्या बागची की टीम ने चुनाव आयोग की दलील सुनकर बिहार के 7 करोड़ से ज्यादा मतदाताओं की सूची सुधार प्रक्रिया जारी रखने की मंजूरी दी।