पाकिस्तान के सांस्कृतिक परिदृश्य में एक अनूठा और प्रेरणादायक आयोजन हुआ, जब कराची शहर में ‘मौज’ ड्रामा ग्रुप ने हिंदू महाकाव्य Ramayana का मंचन किया। 11 से 13 जुलाई तक चले इस नाटक ने न केवल स्थानीय दर्शकों का दिल जीता, बल्कि भारत सहित विश्व भर में इसकी सराहना हो रही है। इस आयोजन की खास बात यह रही कि इसमें अधिकतर मुस्लिम कलाकारों ने हिस्सा लिया, जिन्होंने अपनी कला और समर्पण से इस धार्मिक कथा को जीवंत कर दिया।
Ramayana का मंचन: एक साहसिक कदम
‘मौज’ ड्रामा ग्रुप ने कराची आर्ट्स काउंसिल के सहयोग से इस नाटक का आयोजन किया। निर्देशक योहेश्वर करेरा की देखरेख में तैयार इस प्रस्तुति में आधुनिक तकनीक का भी उपयोग किया गया। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की मदद से विशेष प्रभावों (स्पेशल इफेक्ट्स) ने नाटक को और भी आकर्षक बना दिया। दर्शकों ने इस अनोखे मिश्रण की जमकर तारीफ की, जिसमें पारंपरिक कहानी को आधुनिक तकनीक के साथ पेश किया गया।
योहेश्वर करेरा ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया, “हमें कभी यह डर नहीं लगा कि रामायण जैसे हिंदू धार्मिक ग्रंथ के मंचन से पाकिस्तान में कोई विवाद खड़ा होगा। लोगों ने इसे खुले दिल से स्वीकार किया और हमारी कला की सराहना की।” उन्होंने आगे कहा कि इस नाटक का उद्देश्य सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देना और प्रेम व भाईचारे का संदेश फैलाना था।
Ramayana: मुस्लिम कलाकारों का योगदान
इस नाटक की एक और खासियत थी इसमें शामिल कलाकारों की विविधता। राणा काजमी ने माता सीता की भूमिका निभाई, जबकि अश्मल लालवानी ने भगवान राम का किरदार अदा किया। रावण की भूमिका में समहान गाजी, हनुमान के किरदार में जिब्रान खान और लक्ष्मण के रूप में वकास अख्तर नजर आए। राजा दशरथ का किरदार आमिर अली ने बखूबी निभाया। इनमें से अधिकतर कलाकार मुस्लिम समुदाय से थे, जिन्होंने अपनी मेहनत और अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया।
राणा काजमी ने अपनी भूमिका के बारे में कहा, “सीता का किरदार निभाना मेरे लिए एक अनूठा अनुभव था। इस नाटक के लिए मैंने बहुत मेहनत की, और दर्शकों का प्यार देखकर मुझे बहुत खुशी हो रही है।” उन्होंने बताया कि इस नाटक ने उन्हें न केवल एक कलाकार के रूप में, बल्कि एक इंसान के रूप में भी बहुत कुछ सिखाया।