हर व्यक्ति की त्वचा अलग प्रकार की होती है और उसकी देखभाल भी उसी के अनुरूप होनी चाहिए। जहां ऑयली स्किन वाले लोग वाटर-बेस्ड और जेल प्रोडक्ट्स से राहत पा सकते हैं, वहीं ड्राई स्किन वालों को हाइड्रेटिंग सामग्री की जरूरत होती है। लेकिन सबसे ज़्यादा चुनौतियां सेंसिटिव स्किन वाले लोगों को झेलनी पड़ती हैं, क्योंकि उनकी त्वचा हर चीज़ पर जल्दी रिएक्ट करती है।
ऐसे में आयुर्वेद, जो कि हजारों साल पुरानी चिकित्सा प्रणाली है, सेंसिटिव स्किन की समस्याओं का गहराई से समाधान प्रस्तुत करता है।
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण: त्वचा और दोषों का गहरा संबंध
आयुर्वेद में यह माना जाता है कि शरीर में तीन प्रमुख दोष वात, पित्त और कफ मानव स्वास्थ्य को नियंत्रित करते हैं। त्वचा का प्रकार भी इन्हीं दोषों पर आधारित होता है। जिन लोगों में वात दोष अधिक होता है, उनकी त्वचा प्रायः शुष्क होती है और यही त्वचा संवेदनशील भी मानी जाती है। ड्राई स्किन ही सेंसिटिव स्किन का मुख्य कारण होती है, क्योंकि यह बहुत जल्दी रिएक्ट करती है, चाहे वह कॉस्मेटिक हो या प्राकृतिक तत्व।
आयुर्वेदिक स्किन केयर
आयुर्वेदिक स्किन केयर प्रणाली किसी भी एक समान नियम का पालन नहीं करती, बल्कि यह व्यक्तिगत ज़रूरतों और त्वचा के प्रकार के अनुसार उपाय सुझाती है। इसमें त्वचा की स्थिति को ध्यान में रखकर जड़ी-बूटियों, प्राकृतिक तेलों और अन्य सामग्रियों का चयन किया जाता है, जिससे साइड इफेक्ट्स की संभावना नगण्य हो जाती है।
सेंसिटिव स्किन के लिए आयुर्वेदिक फेस मास्क
यदि आपकी त्वचा पित्त दोष के कारण ड्राई और सेंसिटिव है, तो एक हाइड्रेटिंग फेस मास्क आपकी त्वचा को राहत दे सकता है। इसके लिए एक चौथाई कप एलोवेरा जेल में कुछ बूंदें गुलाब जल की मिलाएं और साथ में कॉटन बॉल्स लें। किसी और सामग्री का मिश्रण न करें, खासकर यदि एलोवेरा या गुलाब जल से एलर्जी हो, तो यह फेस मास्क अवॉयड करें।
फेस मास्क लगाने की विधि
सबसे पहले कॉटन बॉल को गुलाब जल में भिगोकर चेहरे को साफ करें। इसके बाद एलोवेरा जेल को चेहरे पर लगाएं और 10 से 15 मिनट तक छोड़ दें। फिर चेहरे को गुनगुने पानी से धो लें। चेहरे पर मॉइस्चराइजिंग के लिए बाहरमासी (Calendula) का तेल लगा सकते हैं। इस प्रक्रिया को सप्ताह में दो से तीन बार दोहराया जा सकता है।
क्या न करें?
संवेदनशील त्वचा वालों को स्ट्रॉन्ग एसिड या तीखी प्रकृति वाले प्राकृतिक तत्व जैसे नींबू, टमाटर आदि से बचना चाहिए। चेहरे पर कुछ भी लगाने से पहले यह ज़रूरी है कि आपकी स्किन किस प्रकार की है और किस चीज़ से रिएक्ट कर सकती है, इसकी पहचान हो। सेंसिटिव स्किन में एलर्जिक कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस और इरिटेटेड कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस दोनों ही आम समस्याएं हैं, इसलिए थोड़ी अतिरिक्त सावधानी बरतनी ज़रूरी है।
खानपान और जीवनशैली में लाएं बदलाव
सिर्फ बाहरी देखभाल ही नहीं, सेंसिटिव स्किन को अंदर से भी संतुलन में रखना होता है। तामसिक भोजन, तीखे मसाले, और गरम तासीर वाले खाद्य पदार्थ वात को बढ़ाते हैं, जिससे त्वचा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा, दिनभर में भरपूर पानी पिएं ताकि त्वचा भीतर से हाइड्रेटेड रहे। नियमित योग और प्राणायाम करने से न केवल रक्त संचार बेहतर होता है बल्कि स्ट्रेस कम होकर पित्त संतुलित रहता है, जो सेंसिटिव स्किन के लिए फायदेमंद होता है।