पेमा खांडू ने कहा अरुणाचल के 66 गांव बनेंगे मॉडल

पेमा खांडू : अरुणाचल प्रदेश में म्यांमार सीमा के पास बसे 66 गांव अब केंद्र सरकार के वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (वीवीपी) के तहत विकसित किए जाएंगे। यह जानकारी मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने सोमवार को सोशल मीडिया पर दी। उन्होंने बताया कि ये गांव तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग जिलों में आते हैं। इनमें से 42 गांव चांगलांग, 13 लोंगडिंग और 11 तिरप जिले में हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह योजना सीमावर्ती इलाकों तक विकास पहुंचाने के लिए है। गांवों में सड़क, टेलीफोन नेटवर्क, बिजली, रोजगार और कौशल विकास से जुड़ी सुविधाओं पर खास ध्यान दिया जाएगा।

वीवीपी से सीमावर्ती इलाकों में कनेक्टिविटी और विकास को बढ़ावा

राज्य के अधिकारियों के अनुसार, वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (वीवीपी) का मकसद है आजीविका, बुनियादी सुविधाएं, पर्यटन, कौशल विकास, सड़क, दूरसंचार, घर और नवीकरणीय ऊर्जा जैसी समस्याओं को दूर करना। इससे सीमावर्ती गांवों में रहने वाले लोगों को वहां बने रहने के लिए प्रेरित किया जाएगा। केंद्र सरकार ने 15 फरवरी 2023 को इस योजना के पहले चरण में भारत-भूटान और भारत-तिब्बत सीमा के 455 गांवों को विकसित करने की मंजूरी दी थी। इनमें से 135 गांव अभी भी दूर-दराज के इलाके में हैं, जहां संपर्क की सुविधा नहीं है।

लोंगडिंग जिला: वक्का गांव की आबादी सबसे ज्यादा

2011 की जनगणना के अनुसार, वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (वीवीपी) में शामिल गांवों में लोंगडिंग जिले का वक्का गांव सबसे बड़ा है, जहां 2,000 से ज्यादा लोग रहते हैं। इसी जिले के खानु गांव में 1,629 लोग हैं। चांगलांग जिले के गांधीग्राम गांव की आबादी 1,754 है। चांगलांग जिले में सबसे छोटे गांवों की जनसंख्या बहुत कम है। ओल्ड पोटुक में केवल 41 लोग, गाहेरीग्राम में 57 और लुंगटुंग में 71 लोग रहते हैं। यह आंकड़े गांवों की जनसंख्या में बड़ा और छोटा फर्क दिखाते हैं।