चुनाव आयोग : तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) ने मंगलवार को चुनाव आयोग से कहा कि आंध्र प्रदेश में वोटर लिस्ट की जांच के लिए ज्यादा समय दिया जाए और यह काम किसी बड़े चुनाव से छह महीने पहले ही पूरा हो जाना चाहिए। टीडीपी ने कहा कि जो लोग पहले से वोटर लिस्ट में हैं, उन्हें दोबारा अपनी पहचान साबित नहीं करनी चाहिए। यह मांग ऐसे वक्त आई है जब बिहार में वोटर लिस्ट की जांच को लेकर विवाद हो रहा है। वहां विपक्षी दल कह रहे हैं कि नए वोटरों से ज्यादा दस्तावेज मांगे जा रहे हैं, जिससे लोगों में भ्रम बढ़ रहा है।
चुनाव आयोग से TDP की सिफारिश
टीडीपी ने चुनाव आयोग से कहा कि विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) का मकसद सिर्फ वोटर लिस्ट को सही करना और नए नाम जोड़ना होना चाहिए, न कि नागरिकता की जांच। फील्ड अफसरों को इस बारे में साफ निर्देश दिए जाएं। पार्टी ने कहा कि जिन लोगों के नाम पहले से लिस्ट में हैं, उन्हें दोबारा पात्रता साबित नहीं करनी चाहिए, जब तक कोई ठोस कारण न हो। नाम हटाने से पहले जांच होनी चाहिए और सबूत देना अधिकारियों की जिम्मेदारी होनी चाहिए। टीडीपी ने सुझाव दिया कि प्रक्रिया जल्द शुरू हो, प्रवासियों का ध्यान रखा जाए और नाम हटाने की प्रक्रिया पारदर्शी हो।
TDP ने दिए मतदाता सूची सुधार के लिए राष्ट्रीय महत्व के सुझाव
टीडीपी ने सुझाव दिया कि हर साल वोटर लिस्ट का ऑडिट सीएजी के जरिए किसी तीसरे पक्ष से कराया जाए। डुप्लीकेट नामों की पहचान के लिए एआई टूल्स का इस्तेमाल हो और एक व्यक्ति को एक ही यूनिक वोटर आईडी दी जाए। इसके लिए आधार कार्ड की मदद ली जाए। स्याही की बजाय बायोमेट्रिक पहचान प्रणाली लागू की जाए। हर इलाके में समयबद्ध शिकायत निवारण हो। सभी पार्टियों से बीएलए नियुक्त हों। वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने-हटाने की जानकारी जिले स्तर पर सार्वजनिक की जाए। राजनीतिक दलों से हर महीने बैठक हो और वंचित समूहों के लिए विशेष नामांकन अभियान चलाए जाएं।