डर के साथ सस्पेंस भी! जानिए कैसी है सोनाक्षी सिन्हा की फिल्म ‘Nikita Roy’

18 जुलाई 2025 को रिलीज हुई सोनाक्षी सिन्हा की फिल्म ‘Nikita Roy’ एक ऐसी सुपरनैचुरल थ्रिलर है, जो न केवल डरावनी है, बल्कि दर्शकों को गहरे सामाजिक सवालों के साथ भी जोड़ती है। यह फिल्म कुश सिन्हा की पहली निर्देशकीय पारी है, जिसमें सोनाक्षी सिन्हा, परेश रावल, अर्जुन रामपाल और सुहैल नय्यर जैसे कलाकारों ने अहम भूमिकाएँ निभाई हैं। आइए, जानते हैं कि यह फिल्म दर्शकों के लिए क्या लेकर आई है और यह कितनी प्रभावशाली है।

Nikita Roy कहानी: रहस्य और विश्वास का टकराव

‘निकिता रॉय’ की कहानी लंदन में बसी एक लेखिका और तार्किक विचारक निकिता रॉय (सोनाक्षी सिन्हा) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अंधविश्वासों और धोखेबाज आध्यात्मिक गुरुओं को बेनकाब करने में विश्वास रखती है। वह इंटरनेशनल रैशनलिस्ट कम्युनिटी (IRC) की सदस्य है और अपने भाई सनल रॉय (अर्जुन रामपाल) के साथ मिलकर ऐसे दावों को तथ्यों के आधार पर चुनौती देती है। लेकिन कहानी तब एक नया मोड़ लेती है, जब सनल की रहस्यमयी मौत हो जाती है। पुलिस इसे आत्महत्या करार देती है, लेकिन निकिता को यकीन है कि यह हत्या है।

निकिता की जांच उसे एक प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु अमरदेव (परेश रावल) तक ले जाती है, जिसे सनल बेनकाब करने की कोशिश कर रहा था। अपने पूर्व प्रेमी जॉली (सुहैल नय्यर) की मदद से निकिता इस रहस्य को सुलझाने की कोशिश करती है। लेकिन जैसे-जैसे वह सच्चाई के करीब पहुँचती है, उसे ऐसी घटनाओं का सामना करना पड़ता है, जो उसकी तार्किक सोच को चुनौती देती हैं। 

Nikita Roy: सोनाक्षी की करियर की बेहतरीन पारी

सोनाक्षी सिन्हा ने निकिता रॉय के किरदार में जान डाल दी है। उनकी एक्टिंग में एक गजब का संतुलन है—वह दुख, दृढ़ता और शक के बीच खूबसूरती से झूलती हैं। यह उनकी अब तक की सबसे परिपक्व और प्रभावशाली परफॉर्मेंस मानी जा सकती है। परेश रावल ने अमरदेव के रूप में एक बार फिर साबित किया कि वह किसी भी किरदार को अपनी गहराई से जीवंत कर सकते हैं।अर्जुन रामपाल का किरदार भले ही सीमित हो, लेकिन उनकी मौजूदगी कहानी को भावनात्मक गहराई देती है। 

Nikita Roy: निर्देशन और तकनीकी पक्ष

कुश सिन्हा ने अपनी पहली फिल्म में ही दर्शकों का ध्यान खींचा है। उन्होंने हॉरर और थ्रिलर के तत्वों को सामाजिक टिप्पणी के साथ बखूबी पिरोया है। फिल्म में पारंपरिक जंप स्केयर की जगह मनोवैज्ञानिक डर और तनाव को प्राथमिकता दी गई है