हम सभी ने बचपन में दूध पीने से बचने की कोशिश जरूर की होगी, लेकिन इसमें छिपे पोषक तत्वों का महत्व हम सभी जानते हैं। भारत में दूध को न केवल पोषण के लिए, बल्कि धार्मिक दृष्टिकोण से भी बेहद पवित्र माना जाता है। यह पूजा-पाठ, व्रत, और अभिषेक जैसे कार्यों में भी उपयोग होता है। आमतौर पर हम दूध को शाकाहारी मानते हैं, लेकिन हाल ही में “नॉन-वेज मिल्क” को लेकर काफी चर्चा हो रही है। आइए समझते हैं कि आखिर यह क्या होता है और कैसे यह भारतीय दूध से अलग है।
नॉन-वेज दूध क्या होता है?
“नॉन-वेज दूध शब्द थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन इसका अर्थ है ऐसा दूध जो उन गायों से प्राप्त होता है जिन्हें मांस या खून से बने आहार खिलाए जाते हैं। अमेरिका, यूरोप और कुछ अन्य देशों में गायों को अधिक प्रोटीन और वजन बढ़ाने के उद्देश्य से ऐसे चारे दिए जाते हैं जिनमें मछली, चिकन, सूअर, घोड़े या अन्य जानवरों के मांस से बने तत्व शामिल होते हैं।”
ऐसे चारे से दूध देने वाली गायों के दूध को ही “नॉन-वेज मिल्क” कहा जा रहा है। ये गायें शारीरिक रूप से स्वस्थ दिख सकती हैं, लेकिन उनकी डाइट पूरी तरह शुद्ध शाकाहारी नहीं होती।
भारत में दूध क्यों माना जाता है शुद्ध शाकाहारी?
भारत में गायों को पारंपरिक रूप से शुद्ध शाकाहारी आहार जैसे सूखा भूसा, हरा चारा, खली, मक्का और गेहूं के दाने खिलाए जाते हैं। यहां के लोग गाय को देवी के समान मानते हैं, इसलिए उसका दूध भी शुद्ध और पवित्र माना जाता है। अधिकांश डेयरी ब्रांड “100% शाकाहारी” का लेबल लगाकर अपने दूध की शुद्धता दर्शाते हैं।
क्या नॉन-वेज दूध स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है?
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो नॉन-वेज फीड वाली गाय का दूध भी पोषक होता है और उसे पीने से सेहत को सीधा कोई नुकसान नहीं होता। पोषण में खास अंतर नहीं होता, लेकिन धार्मिक या नैतिक मान्यताओं के अनुसार इसे शुद्ध नहीं माना जाता।