Eng Vs Ind: लॉर्डस में इसलिए हार गया भारत, जडेजा को इन पर नहीं था विश्वास, विश्व कप विजेता ने बताया

Eng Vs Ind: 1983 विश्व कप विजेता बलविंदर सिंह संधू ने लॉर्ड्स टेस्ट में भारत की हार के लिए ऑलराउंडर रविंद्र जडेजा के फैसले पर सवाल उठाए हैं। संधू का मानना है कि अंतिम क्षणों में जडेजा का पुछल्ले बल्लेबाजों पर भरोसा न करना भारत को तीसरे टेस्ट में भारी पड़ा। इंग्लैंड के खिलाफ 193 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत केवल 22 रन से चूक गया, जिससे इंग्लैंड ने एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी में 2-1 की बढ़त ले ली।

अंतिम दिन लंच के समय भारत का स्कोर 8 विकेट पर 112 रन था, और जीत की उम्मीदें लगभग खत्म हो चुकी थीं। लेकिन दुनिया के नंबर 1 टेस्ट ऑलराउंडर जडेजा ने हार नहीं मानी। उन्होंने जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज के साथ निचले क्रम में महत्वपूर्ण साझेदारियां कीं। जडेजा की 181 गेंदों में नाबाद 61 रनों की पारी ने भारत को लक्ष्य के करीब पहुंचाया, लेकिन अंतिम ओवरों में उनके कुछ फैसलों ने हार-जीत का अंतर तय किया।

संधू ने मिड-डे में अपने कॉलम में लिखा, “मैं रविंद्र जडेजा को उनके अंडर-19 दिनों से जानता हूं, जब वह नेशनल क्रिकेट अकादमी में थे। तब भी वह अपनी उम्र से ज्यादा परिपक्वता दिखाते थे। वह एक समझदार क्रिकेटर हैं और दबाव में शांत रहते हैं। लेकिन इस बार, शायद हार का डर या पुछल्ले बल्लेबाजों पर भरोसा न होने की वजह से वह चूक गए।”

68 वर्षीय संधू ने आगे बताया कि जडेजा ने बुमराह पर भरोसा न करके एक सुनहरा मौका गंवा दिया। उन्होंने कहा, “अगर जडेजा ने जसप्रीत बुमराह पर थोड़ा और भरोसा दिखाया होता, जो उस समय अच्छी रक्षात्मक बल्लेबाजी कर रहे थे, और चौथी गेंद पर सिंगल लेने से बचकर स्ट्राइक अपने पास रखी होती, तो शायद वह आखिरी दो गेंदों में फील्डरों के करीब होने का फायदा उठाकर बाउंड्री मार सकते थे।”

जडेजा के रन-चेज के दृष्टिकोण ने प्रशंसकों और विशेषज्ञों के बीच मतभेद पैदा कर दिया है। पूर्व भारतीय कप्तान अनिल कुंबले का मानना है कि जडेजा को अंत में अधिक जोखिम उठाना चाहिए था। वहीं, कप्तान शुभमन गिल और दिग्गज सुनील गावस्कर ने जडेजा के रूढ़िगत दृष्टिकोण का समर्थन किया और इसे सही रणनीति बताया।