MP Shikshak Bharti New Rule: उम्मीदवारों में भारी नाराज़गी, मध्यप्रदेश शिक्षक भर्ती में बदलाव से मचा हड़कंप, पात्रता और सिलेबस पर उठे सवाल

MP Shikshak Bharti New Rule: मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल (ESB) द्वारा शिक्षक वर्ग-3 के 13,000 पदों पर भर्ती के लिए आयोजित की जाने वाली परीक्षा पर अब विवादों के बादल मंडराने लगे हैं। परीक्षा की आवेदन प्रक्रिया शुरू होने से ऐन पहले बोर्ड द्वारा नियमों, पात्रता मानदंड और सिलेबस में बड़े बदलाव कर दिए गए। इन अचानक हुए बदलावों ने हजारों अभ्यर्थियों को असमंजस में डाल दिया है और कई के लिए यह बदलाव सीधे तौर पर परीक्षा से बाहर होने जैसा झटका साबित हो सकता है।

संस्कृत और उर्दू भाषाओं को हटाया गया, अभ्यर्थी हुए हतप्रभ

नए बदलावों के तहत भाषा विषय से “संस्कृत” और “उर्दू” विकल्प को हटा दिया गया है, जिससे इन विषयों से तैयारी कर रहे उम्मीदवारों को गहरा झटका लगा है। लंबे समय से संस्कृत और उर्दू के अभ्यर्थी इस परीक्षा की तैयारी कर रहे थे, लेकिन अब वे पात्र ही नहीं रह गए। यह फैसला न केवल असमानता पैदा करता है, बल्कि राज्य में भाषायी विविधता और समान अवसर के सिद्धांत पर भी सवाल उठाता है।

ESB की पारदर्शिता और योजना पर उठे सवाल

इस अचानक किए गए बदलाव के चलते ESB की परीक्षा नीति, पारदर्शिता और प्रशासनिक तैयारी पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं में नियमों में बदलाव आमतौर पर पूर्व सूचना और पर्याप्त समय के साथ किए जाते हैं, लेकिन यहाँ आवेदन प्रक्रिया शुरू होने से ऐन पहले बदलाव कर देना प्रशासनिक अनिश्चितता और योजना की कमी को दर्शाता है। कई शिक्षाविदों और परीक्षा विशेषज्ञों ने इसे अनुचित करार दिया है।

हजारों अभ्यर्थियों के भविष्य पर संकट, आंदोलन की आशंका

इस बदलाव से प्रभावित उम्मीदवारों की संख्या हजारों में है। सोशल मीडिया पर विरोध की लहर शुरू हो चुकी है, और छात्र संगठन इस मुद्दे को लेकर आंदोलन की तैयारी में हैं। कई छात्रों ने इसे “अधिकारों का हनन” बताया है और सरकार से पुनर्विचार की मांग की है। वे चाहते हैं कि पूर्व की तरह सभी भाषाओं को विकल्प में शामिल किया जाए, ताकि सभी वर्गों के विद्यार्थियों को समान अवसर मिल सके।

भविष्य की परीक्षा प्रणाली के लिए चेतावनी

यह प्रकरण मध्यप्रदेश की भर्ती परीक्षाओं की योजना, निष्पक्षता और पारदर्शिता के मॉडल पर पुनर्विचार का अवसर देता है। अगर समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह न केवल योग्य उम्मीदवारों के भविष्य को प्रभावित करेगा, बल्कि बोर्ड की विश्वसनीयता को भी नुकसान पहुंचा सकता है। प्रशासन से अपेक्षा की जा रही है कि वह इस मामले में स्पष्टीकरण और समाधान के साथ आगे आए।