रॉबर्ट वाड्रा : प्रवर्तन निदेशालय ने रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ एक जमीन सौदे से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में चार्जशीट दाखिल की है। वाड्रा की कंपनी स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी की 43 संपत्तियाँ, जिनकी अनुमानित कीमत लगभग 37.64 करोड़ रुपये है, उन्हें जब्त कर लिया गया है। ईडी ने अपनी जांच पूरी करने के बाद अदालत में रिपोर्ट पेश की 11 अन्य लोग भी आरोपी हैं। राहुल गांधी ने कहा कि केंद्र सरकार वाड्रा को परेशान कर रही है, लेकिन आखिर में सच्चाई की जीत होगी।
हुड्डा सरकार पर जमीन सौदे में गड़बड़ी के आरोप
हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार ने रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी को 2.70 एकड़ जमीन पर कमर्शियल कॉलोनी बनाने की मंजूरी दी थी। इसका मतलब है कि उस जमीन को व्यवसायिक इस्तेमाल के लिए तैयार करने की इजाजत दी गई थी। इसके बाद जमीन की कीमत तेजी से बढ़ गई। वाड्रा की कंपनी ने 2008 में यह जमीन डीएलएफ को 58 करोड़ रुपये में बेच दी, जो पहले के मुकाबले 773% ज्यादा थी। बाद में हुड्डा सरकार ने वही आवासीय परियोजना का लाइसेंस डीएलएफ के नाम पर स्थानांतरित कर दिया।
हुड्डा-वाड्रा डील का पर्दाफाश कैसे हुआ?
अक्टूबर 2012 में आईएएस अधिकारी अशोक खेमका जब हरियाणा में भूमि रिकॉर्ड विभाग के प्रमुख बने, तो उन्होंने रॉबर्ट वाड्रा की जमीन डील की जांच शुरू की। जांच के बीच ही मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने उनका तबादला कर दिया। फिर भी खेमका ने जांच पूरी की और 15 अक्टूबर को उस जमीन का म्यूटेशन रद्द कर दिया। यही कदम इस मामले के खुलासे की बड़ी वजह बना और बाद में जांच एजेंसियाँ सक्रिय हुईं।