मध्यप्रदेश में शिक्षा विभाग ने बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई करते हुए राज्य के 250 निजी स्कूलों की मान्यता समाप्त कर दी है। यह कदम उन संस्थानों पर उठाया गया है जो मान्यता के लिए आवश्यक भूमि दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सके या जिनके दस्तावेजों में गंभीर त्रुटियाँ पाई गईं।
जमीन के कागजातों में गड़बड़ियां बनी मुख्य वजह
जिन स्कूलों पर कार्रवाई की गई है, उनमें से कई के पास आवश्यक भूमि उपलब्ध नहीं थी, जबकि कुछ ने अधूरे या गलत रजिस्ट्री दस्तावेज जमा किए थे। शिक्षा विभाग की जांच में यह भी सामने आया कि कुछ स्कूल केवल कागजों पर ही संचालित हो रहे थे और वास्तविकता में उनका संचालन नहीं हो रहा था।
शिक्षा मंत्री ने खारिज की स्कूलों की अपीलें
इस पूरे मामले में स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका रही। जब इन स्कूलों ने अपनी मान्यता के लिए अपीलें कीं, तो मंत्री ने गंभीर अनियमितताओं के आधार पर 250 स्कूलों की याचिकाएं खारिज कर दीं। इसके बाद लोक शिक्षण संचालनालय की आयुक्त शिल्पा गुप्ता ने मान्यता रद्द करने के आदेश जारी किए।
50 स्कूलों को मिली आंशिक राहत, कुछ अभी होल्ड पर
प्रदेश भर से कुल 350 स्कूलों की फाइलें शिक्षा मंत्री तक पहुंची थीं। इनमें से 50 स्कूलों को मान्यता दी गई, 50 स्कूलों के मामलों को फिलहाल होल्ड पर रखा गया है और 250 स्कूलों की मान्यता को सीधे रद्द कर दिया गया। यह राज्यभर के निजी स्कूल प्रबंधन के लिए एक स्पष्ट संकेत है कि बिना शर्तें पूरी किए अब संचालन संभव नहीं है।
भोपाल के 12 स्कूलों की मान्यता भी गई
राजधानी भोपाल भी इस कार्रवाई की जद में आ गया है। यहां के 12 निजी स्कूलों की मान्यता खत्म कर दी गई है। जिन स्कूलों पर कार्रवाई हुई है, उनमें अंकुर हायर सेकेंडरी स्कूल, सेवन हिल्स, प्रीति हायर सेकेंडरी स्कूल, राजपुष्पा स्कूल, पार्थ स्कूल और ज्ञान कृष्णा स्कूल जैसे नाम शामिल हैं। इन स्कूलों ने या तो जमीन से जुड़े दस्तावेज नहीं दिए या विभागीय नियमों का पालन नहीं किया।
स्कूल मान्यता के लिए क्या हैं जरूरी शर्तें?
मध्यप्रदेश में हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों को मान्यता देने के लिए कुछ जरूरी मानदंड तय किए गए हैं।
• हाईस्कूल के लिए कम से कम 4000 वर्गफुट भूमि और
• हायर सेकेंडरी के लिए 5600 वर्गफुट भूमि होना जरूरी है।
यह जमीन पूरी तरह से निर्मित और खुली मिलाकर होनी चाहिए। इसके अलावा, स्कूलों में शौचालय, प्रयोगशाला, स्वच्छ पीने का पानी और अन्य आधारभूत सुविधाएं होना भी अनिवार्य है।
शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और गुणवत्ता की पहल
इस सख्त कदम को राज्य सरकार की ओर से शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने की पहल माना जा रहा है। अब स्कूलों को स्पष्ट निर्देश मिल चुका है कि केवल कागजों में नहीं, जमीनी स्तर पर नियमों का पालन अनिवार्य है।