पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत ने राजनीति से संन्यास का दिया संकेत

हरक सिंह रावत : पूर्व वन मंत्री ने कहा कि ईडी ने सरकार के दबाव में आकर उनके खिलाफ झूठी चार्जशीट बनाई है। उन्होंने कहा, अगर वह दोषी पाए गए तो सजा स्वीकार करेंगे, लेकिन अगर दोष नहीं मिला तो ईडी अधिकारियों के खिलाफ केस होना चाहिए। जिस 8.29 हेक्टेयर जमीन की बात हो रही है, वह पिछले 50 साल से सुशीला देवी के नाम थी। जमीन का रेट कम या ज्यादा होना सामान्य है। उन्होंने कहा कि यह सब उनकी छवि खराब करने के लिए किया जा रहा है, लेकिन वे डरने वाले नहीं हैं। उन्होंने कहा, वे पूरी ताकत से राजनीति करेंगे और भाजपा पर कड़ी आलोचना की।

निवेशक सम्मेलन की जमीन को लेकर चल रही है गुप्त सांठगांठ

देहरादून। पूर्व वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि निवेशक सम्मेलन के लिए जमीन को गलत तरीके से इधर-उधर किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जब वे भाजपा सरकार में मंत्री थे, तब 30 हजार करोड़ रुपये के निवेश के समझौते हुए थे, लेकिन कोई भी उद्योग नहीं लगा। इसके अलावा, कांग्रेस की तिवारी सरकार में हरिद्वार और सेलाकुई में जो उद्योग लगे थे, वे भी बंद हो गए। उन्होंने प्रदेश की निवेश स्थिति पर चिंता जताई।

10 दिन में चुनाव जीतने का दावा

पूर्व वन मंत्री ने कहा कि वे सबसे ज्यादा बार मंत्री रहे हैं। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में वे सिर्फ 10 दिन के लिए जाते हैं और फिर जीत जाते हैं। जब उनसे पूछा गया कि 2027 में वे किस क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे, तो उन्होंने कहा कि अभी इसके लिए वक्त है और वह बाद में बताएंगे।

डर के कारण भाजपा में जाने से इनकार, पूर्व मंत्री ने बताया कारण

 पूर्व मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि ईडी ने साफ कहा है कि उनके खिलाफ जो मामला चल रहा है, उससे बचने के लिए उन्हें ऊपर से दबाव बनवाना पड़ेगा। लेकिन वे डरकर भाजपा में शामिल नहीं होंगे। अगर प्यार से बात होती तो वे सोच सकते थे। ईडी की यह कार्रवाई सहसपुर इलाके की एक जमीन से जुड़ी है, जो हरक सिंह ने 2002 में सुशीला रानी नाम की महिला से खरीदी थी। यह जमीन सुशीला रानी के नाम 1962 से दर्ज थी। ईडी का आरोप है कि जमीन खरीद में धोखाधड़ी और कागजातों में गड़बड़ी हुई है।