मध्यप्रदेश ने फूलों के उत्पादन में देश में एक अलग ही पहचान बनाई है। एमपी का फूल उत्पादन में देश में तीसरा स्थान है। बड़ी खास बात ये है कि गुना जिले के गुलाब के फूलों की महक, दिल्ली, मुंबई के बाद अब पेरिस और लंदन तक भी पहुंच रही है।
वहीं एमपी की राजधानी भोपाल में एक महिला किसान फूलों से हर महीने 4 लाख रूपए कमा रही है। भोपाल की ग्राम पंचायत बरखेड़ा बोंदर की रहने वाली लक्ष्मीबाई कुशवाह ने धान, गेहूं और सोयाबीन की खेती को छोड़कर गुलाब, जरबेरा, गेंदा के फूलों का उत्पादन शुरू किया और हर महीने वह 3 से 4 लाख रूपए कमा रही है। ऐसे कई उदाहरण है, जिनसे मध्यप्रदेश में फूलो का उत्पादन बढ़ा है।
वहीं सरकार का कहना है कि मध्यप्रदेश के उत्पादित फूलों की मांग देश के महानगरों के साथ विदेशों में भी बढ़ी है। छोटी जोत वाले किसान, जिनके पास एक दो या तीन एकड़ भूमि है, वो फूलों का उत्पादन करके अच्छा लाभ कमा सकते है। खास बात ये है कि गुना जिले के शिक्षित युवाओं के साथ गांव के किसान भी फूलों के उत्पादन की तरफ आकर्षित हुए है।
एमपी में प्रमुख तौर पर गेंदा, गुलाब, सेवंती, ग्लैडियोलस, रजनीगंधा और औषधीय फूलों में इसबगोल, अश्वगंधा, सफेद मूसली और कोलिक्स का उत्पादन किया जाता है। बता दें कि प्रदेश में सर्वाधिक उतापादन क्षेत्र गेंदा के फूलो का होता है।
मध्यप्रदेश में 24 हजार 214 हेक्टेयर मे गेंदे की खेती की जा रही है। वहीं दूसरे स्थान पर गुलाब, जो कि 4 हजार 502 हेक्टेयर और तीसरे स्थान पर सेवंती 1 हजार 709 हेक्टेयर और चौथे स्थान पर ग्लैडियोलस, जो कि 1 हजार 58 हेक्टेयर, पांचवे नंबर पर रजनीगंधा जो कि 263 हेक्टेयर और अन्य फूल 11 हजार 227 हेक्टेयर में बोए जा रहे है।