आज है सावन शिवरात्रि, बन रहे दुर्लभ योग, जानें भोलेनाथ की पूजा और जलाभिषेक का शुभ समय

23 जुलाई 2025, बुधवार के दिन सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि है। यही वह पावन तिथि होती है जब भक्त कांवड़ यात्रा के जल को शिवलिंग पर चढ़ाते हैं और श्रद्धा भाव से भगवान शिव का रुद्राभिषेक करते हैं। सावन शिवरात्रि का यह दिन शिवभक्तों के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक शिव पूजन करने से जीवन में सभी दुखों का नाश होता है और महादेव की कृपा से सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। यह दिन विशेष रूप से उपवास, जप, ध्यान और रात्रि जागरण के लिए श्रेष्ठ माना गया है।

23 जुलाई 2025 का विस्तृत पंचांग

पंचांग के अनुसार, कृष्ण चतुर्दशी तिथि आज चल रही है, जो कल यानी 24 जुलाई को सुबह 02 बजकर 28 मिनट तक रहेगी। मास की दृष्टि से यह पूर्णिमांत प्रणाली के अनुसार सावन माह में आती है। आज का दिन बुधवार है और संवत्सर है 2082।
योग की बात करें तो ‘व्याघात योग’ दोपहर 12:34 बजे तक प्रभावी रहेगा, जो कि कुछ अशुभ कार्यों के लिए अनुकूल नहीं होता।
करण की दृष्टि से दिन में पहले विष्टि करण दोपहर 03:31 बजे तक रहेगा, फिर शकुनि करण आरंभ होगा जो अगले दिन सुबह तक रहेगा।

सूर्योदय, सूर्यास्त और चंद्रग्रहण की समय-सारणी

आज सूर्योदय सुबह 05 बजकर 37 मिनट पर हुआ है और सूर्यास्त शाम 07 बजकर 17 मिनट पर होगा।
चंद्रमा का उदय 24 जुलाई को सुबह 04:43 बजे होगा जबकि चंद्रास्त आज शाम 06:26 बजे होगा।
सूर्य की राशि आज कर्क है, जबकि चंद्रमा मिथुन राशि में संचार कर रहे हैं। इससे विचारों में चंचलता और भावनात्मक उथल-पुथल की संभावना रहती है।

शुभ और अशुभ समय की जानकारी

आज अभिजीत मुहूर्त उपलब्ध नहीं है, जो सामान्यतः कार्यारंभ के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। हालांकि, अमृत काल प्रातः 08:32 से 10:02 बजे तक रहेगा, जो किसी भी शुभ कार्य को आरंभ करने के लिए उत्तम है।
राहु काल, जिसे अत्यंत अशुभ माना जाता है, दोपहर 12:27 से 02:10 बजे तक रहेगा।
गुलिक काल सुबह 10:45 से 12:27 और यमगंड काल 07:20 से 09:02 तक रहेगा। इन समयों में कोई भी नया या महत्वपूर्ण कार्य करने से बचना चाहिए।

आज का नक्षत्र: आर्द्र और इसकी विशेषताएं

आज चंद्रमा का संचार आर्द्र नक्षत्र में हो रहा है, जो सायं 05:54 बजे तक प्रभावी रहेगा। यह नक्षत्र व्यक्ति को चतुर, व्यवहारिक और अत्यधिक भावुक बनाता है।
आर्द्र नक्षत्र का प्रतीक ‘आंसू’ है, जो इसके भावनात्मक और संवेदनशील स्वभाव को दर्शाता है।
इस नक्षत्र के देवता रुद्र हैं — भगवान शिव का ही एक रौद्र रूप — इसलिए इस नक्षत्र में किए गए शिव पूजन का विशेष महत्व होता है।
नक्षत्र का स्वामी राहु होता है और राशि स्वामी बुध होते हैं, जिसके कारण आज वाणी में संयम रखना आवश्यक है। चालाकी, आत्मकेंद्रिता और कभी-कभी क्रोधी स्वभाव इस नक्षत्र की विशेषताएं होती हैं।