मध्य प्रदेश सरकार जल्द ही विधानसभा के आगामी मानसून सत्र में जन विश्वास बिल 2.0 (Jan Vishwas Bill 2.0) पेश करने जा रही है। यह बिल सरकार की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य आम लोगों और कारोबारियों को गैरज़रूरी कानूनी जटिलताओं से राहत देना है। इस बिल के जरिए राज्य में लंबे समय से चले आ रहे कई कठोर और अप्रासंगिक कानूनों में बदलाव किए जाएंगे। इससे पहले जन विश्वास बिल 1.0 में 5 विभागों के 8 कानूनों की 64 धाराओं को संशोधित किया गया था। अब दूसरे चरण में यह दायरा और भी बड़ा होगा।
देश का पहला राज्य बना मध्य प्रदेश, जो ला रहा जन विश्वास बिल का दूसरा चरण
मध्य प्रदेश इस मामले में एक अग्रणी राज्य बन गया है, जो जन विश्वास बिल का दूसरा संस्करण पेश कर रहा है। इस पहल के तहत अब सरकार 13 विभागों के 23 कानूनों की 45 धाराओं में संशोधन करने की तैयारी में है। इस बिल के पीछे मुख्य विचार यह है कि आम नागरिकों और उद्यमियों को सरकार से जुड़े कामों में कम से कम परेशानी हो, और सभी प्रक्रियाएं सरल, पारदर्शी और न्यायसंगत हों।
बिल का मकसद: ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को जमीन पर उतारना
मुख्य सचिव अनुराग जैन ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक में जन विश्वास बिल 2.0 से जुड़े प्रावधानों पर विस्तार से चर्चा की। अधिकारियों को इसे जल्द अंतिम रूप देने का निर्देश भी दिया गया है। इस बिल के जरिये राज्य सरकार ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (Ease of Doing Business) को धरातल पर लागू करना चाहती है। इसके तहत छोटे व्यापारियों, स्टार्टअप्स और उद्यमियों को नौकरशाही से जुड़ी अड़चनों से राहत मिलेगी।
जन विश्वास बिल 2.0 में कौन-कौन से होंगे अहम संशोधन?
इस प्रस्तावित कानून के तहत छोटी-मोटी प्रशासनिक गलतियों पर अब जेल की सज़ा नहीं होगी, बल्कि केवल जुर्माना या चेतावनी देकर छोड़ा जाएगा। इसका उद्देश्य है, जनता को डराने या परेशान करने की बजाय सुधार के लिए मौका देना।
• एंटी मीजल्स वैक्सीनेशन एक्ट, 1968 को अब हटाया जाएगा, जो खसरा के टीकाकरण को अनिवार्य बनाता था।
• गृह विभाग के अंतर्गत आने वाले एनाटॉमी एक्ट में भी बदलाव होगा।
• नगरीय प्रशासन विभाग की नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 208 और नगर निगम अधिनियम 1956 की धारा 195 में संशोधन होगा ताकि जुर्माने और सज़ा से जुड़े प्रावधानों को अधिक व्यावहारिक बनाया जा सके।
• मोटरयान कर नियमों में भी बदलाव होगा, जिसमें पहले जहां अपराध के लिए सजा दी जाती थी, अब उसकी जगह वित्तीय दंड या फाइन का विकल्प रहेगा।
जनता और व्यापारियों को मिलेगा कानूनी राहत का रास्ता
इस बिल से न केवल राज्य के नागरिकों को कानूनी उलझनों से छुटकारा मिलेगा, बल्कि यह प्रशासनिक व्यवस्था को भी अधिक लचीला और जवाबदेह बनाएगा। सरकार की कोशिश है कि छोटे अपराधों को लेकर आम नागरिकों को कोर्ट-कचहरी के चक्कर न काटने पड़ें। इससे न केवल जनता को राहत मिलेगी, बल्कि सरकार की जन-हितैषी छवि भी मजबूत होगी।
‘न्याय में सुलभता और प्रशासन में सहूलियत’ की दिशा में बड़ा कदम
जन विश्वास बिल 2.0, मध्य प्रदेश सरकार की ओर से एक ऐसा प्रयास है जो यह दिखाता है कि अवसरों को आसान बनाने के लिए नियमों को व्यावहारिक बनाना जरूरी है। इस कानून के लागू होने के बाद राज्य में कारोबार शुरू करने, प्रशासनिक मंजूरियां लेने और नागरिक सेवाओं का लाभ लेने की प्रक्रिया और अधिक आसान हो जाएगी। यह कानून न्याय और विकास के बीच संतुलन स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित हो सकता है।