गलत शव मिलने का दावा, ब्रिटिश परिजनों ने उठाए सवाल, भारत सरकार ने दी स्पष्टता

12 जून को अहमदाबाद में हुए एअर इंडिया AI-171 विमान हादसे ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया था। इस दर्दनाक हादसे में 260 लोगों की जान चली गई, जिनमें 169 भारतीय, 53 ब्रिटिश, 7 पुर्तगाली और 1 कनाडाई नागरिक शामिल थे। हादसे के बाद शवों की पहचान कर परिजनों को सौंपे जाने की प्रक्रिया शुरू की गई, लेकिन अब इस प्रक्रिया को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

ब्रिटेन के दो पीड़ित परिवारों ने चौंकाने वाला दावा किया है कि उन्हें उनके अपने परिजनों की जगह किसी और के शव सौंपे गए। जब लंदन में डीएनए जांच कराई गई, तो इस बात का खुलासा हुआ कि शव उनके परिजनों के नहीं थे। एक परिवार ने तो शव का अंतिम संस्कार तक रोक दिया। एक अन्य परिवार ने कहा कि उन्हें जो अवशेष दिए गए, वो दो अलग-अलग व्यक्तियों के थे, यानि अवशेषों को मिलाकर सौंपा गया था।

डीएनए पहचान में लापरवाही का आरोप

पीड़ित परिवारों का आरोप है कि भारत में शवों की पहचान के लिए डीएनए टेस्टिंग सही ढंग से नहीं की गई। रिपोर्ट्स के अनुसार, कई ब्रिटिश नागरिकों का अंतिम संस्कार भारत में ही कर दिया गया, जबकि केवल 12 शव ब्रिटेन भेजे गए थे। अब सवाल उठ रहा है कि क्या उन शवों की पहचान सही तरीके से की गई थी या नहीं?

विदेश मंत्रालय ने दी सफाई

इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि अहमदाबाद हादसे के बाद शवों की पहचान और उनके प्रबंधन में सभी प्रोटोकॉल और तकनीकी आवश्यकताओं का पालन किया गया था। उन्होंने यह भी बताया कि “सभी पार्थिव शरीरों को बहुत ही पेशेवर और गरिमामयी तरीके से संभाला गया।” जायसवाल ने यह भी कहा कि भारत सरकार ब्रिटिश अधिकारियों के साथ मिलकर इस मामले की हर चिंता का समाधान करने के लिए लगातार काम कर रही है।

परिजन मांग रहे हैं विस्तृत जांच

ब्रिटेन में रह रहे पीड़ितों के परिजनों की ओर से वकील ने मांग की है कि इस पूरे मामले की गहराई से जांच होनी चाहिए। उन्होंने सवाल उठाए हैं कि दुर्घटनास्थल से शवों को कैसे एकत्र किया गया और उनकी पहचान किन प्रक्रियाओं के तहत की गई? क्या सभी शवों की डीएनए से पुष्टि की गई थी या केवल अनुमान के आधार पर सौंप दिए गए थे?

सवालों के घेरे में शव प्रबंधन प्रक्रिया

यह घटना न सिर्फ परिजनों के लिए भावनात्मक रूप से झकझोर देने वाली है, बल्कि यह भी उजागर करती है कि बड़े हादसों के बाद शवों की पहचान और हैंडलिंग में कितनी गंभीरता और सटीकता की आवश्यकता होती है। इस मामले ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता पैदा की है और अब ब्रिटेन समेत कई संस्थाएं इस पर नजर बनाए हुए हैं।