सुरों के सरताज Babla Mehta का हुआ निधन, 250 से ज्यादा गानों को दी थी अपनी आवाज

Babla Mehta: बॉलीवुड के मशहूर पार्श्व गायक बबला मेहता का 24 जुलाई 2025 को मुंबई में निधन हो गया। अपनी मखमली और भावपूर्ण आवाज के लिए मशहूर बबला मेहता ने हिंदी सिनेमा में अपनी एक खास पहचान बनाई थी। उन्होंने 250 से अधिक गानों में अपनी आवाज का जादू बिखेरा, विशेष रूप से भक्ति भजनों और भारतीय शास्त्रीय संगीत पर आधारित गीतों में। उनके निधन की खबर ने संगीत प्रेमियों और बॉलीवुड जगत में शोक की लहर दौड़ा दी है।

Babla Mehta: संगीत की दुनिया में एक सुनहरा सफर

दिल्ली में जन्मे बबला मेहता ने 1980 के दशक के अंत में अपने करियर की शुरुआत की थी। उनकी पहली गीत, “तेरे मेरे होंठों पे” (फिल्म: चांदनी), जिसमें उन्होंने लता मंगेशकर के साथ अपनी आवाज दी, ने उन्हें रातोंरात प्रसिद्धि दिलाई। यह गीत आज भी संगीत प्रेमियों के दिलों में बस्ता है। 1990 के दशक में उन्होंने “तहलका” (1992), “दिल है कि मानता नहीं” (1991), और “सड़क” (1991) जैसी फिल्मों में अपने गीतों से दर्शकों का दिल जीता। उनकी आवाज में एक अनोखी मिठास और गहराई थी, जो भक्ति गीतों और रोमांटिक गानों में खास तौर पर उभरकर सामने आती थी।

बबला मेहता ने नदीम-श्रवण, राजेश रोशन, बप्पी लाहिरी और अनु मलिक जैसे मशहूर संगीतकारों के साथ काम किया। उनकी बहुमुखी प्रतिभा ने उन्हें हिंदी के अलावा कई अन्य भाषाओं में भी गाने का मौका दिया। भजनों में उनकी गायकी ने उन्हें श्रोताओं के बीच एक विशेष स्थान दिलाया, और उन्हें अक्सर “मुकेश की आवाज” के रूप में भी जाना जाता था।

एक संगीतकार और ऑडियो इंजीनियर के रूप में योगदान

पार्श्व गायन के अलावा, बबला मेहता ने संगीत निर्देशन और ऑडियो इंजीनियरिंग में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने 10 सोलो एल्बम जारी किए, जिनमें भक्ति गीतों और शास्त्रीय संगीत का अनूठा संगम देखने को मिला। उनकी रचनाओं में भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता की गहरी छाप थी, जो उनके गीतों को और भी खास बनाती थी।