Surveen Chawla: बॉलीवुड और ओटीटी प्लेटफॉर्म की जानी-मानी अभिनेत्री सुरवीन चावला ने मनोरंजन उद्योग में महिलाओं की भूमिका पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने जोर देकर कहा कि महिलाओं को केवल कहानियों में सहायक किरदारों तक सीमित नहीं रखा जाना चाहिए, बल्कि उन्हें कहानी की धुरी बनने का अवसर मिलना चाहिए। यह बयान न केवल सिनेमा और टेलीविजन की दुनिया के लिए प्रासंगिक है, बल्कि समाज के हर क्षेत्र में महिलाओं की स्थिति को दर्शाता है।
Surveen Chawla: कहानियों में महिलाओं की भूमिका
सुरवीन ने कहा, “महिलाएं हमेशा से कहानियों का हिस्सा रही हैं, लेकिन उनकी अपनी कहानी कम ही देखने को मिलती है। हमें ऐसी कहानियां लिखने और बनाने की जरूरत है, जहां महिलाएं सिर्फ किसी की मां, पत्नी या प्रेमिका न हों, बल्कि उनकी अपनी पहचान, उनके अपने सपने और उनकी अपनी यात्रा हो।” उनकी यह टिप्पणी उस रूढ़िगत सोच को चुनौती देती है, जो महिलाओं को केवल पुरुष-केंद्रित कहानियों में सहायक भूमिकाओं तक सीमित रखती है।
आज के दौर में, जहां ओटीटी प्लेटफॉर्म्स ने कहानी कहने के नए रास्ते खोले हैं, सुरवीन का यह बयान और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि हाल के कुछ वेब शोज और फिल्मों में महिलाओं को सशक्त और स्वतंत्र किरदारों के रूप में दिखाया गया है, जो दर्शकों को प्रेरित करते हैं। लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
Surveen Chawla: बदलाव की शुरुआत
सुरवीन ने यह भी बताया कि मनोरंजन उद्योग में बदलाव की शुरुआत हो चुकी है। आज कई महिला लेखक, निर्देशक और निर्माता ऐसी कहानियां लेकर आ रही हैं, जो महिलाओं के अनुभवों को केंद्र में रखती हैं। “यह जरूरी है कि हम कहानी कहने की प्रक्रिया में महिलाओं को और अधिक शामिल करें। जब तक हम ऐसा नहीं करेंगे, तब तक स्क्रीन पर दिखने वाली कहानियां अधूरी रहेंगी,” उन्होंने कहा।
उन्होंने विशेष रूप से उन कहानियों की सराहना की, जो ग्रामीण और छोटे शहरों की महिलाओं की जिंदगी को दर्शाती हैं। “हमारी कहानियां केवल बड़े शहरों तक सीमित नहीं होनी चाहिए। भारत की असली ताकत उसकी विविधता में है, और हमें हर तरह की महिला की कहानी को सामने लाना होगा,” सुरवीन ने जोड़ा।