अदाणी यूनिवर्सिटी ने अपने नए शैक्षणिक वर्ष का शुभारंभ इंडक्शन प्रोग्राम ‘नवदीक्षा 2025’ के आयोजन से किया। यह आयोजन विशेष रूप से बी.टेक+एमबीए और बी.टेक+एम.टेक जैसे इंटीग्रेटेड कोर्सेस में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों के लिए रखा गया था। कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों को प्रेरित करना, उन्हें भविष्य की तकनीकी चुनौतियों के लिए तैयार करना और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप एक सुदृढ़ नींव प्रदान करना रहा।
भविष्य की तकनीक और राष्ट्र निर्माण का रोडमैप
प्रोग्राम के दौरान वक्ताओं ने टेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सस्टेनेबिलिटी जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर छात्रों को जागरूक किया। इस अवसर पर अदाणी ग्रुप के चीफ ट्रांसफॉर्मेशन ऑफिसर सुदीप्त भट्टाचार्य और प्रसिद्ध मैनेजमेंट कंसल्टेंट डॉ. राम चरण जैसे वैश्विक विचारकों ने अपने विचार साझा किए। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वे केवल तकनीकी ज्ञान तक सीमित न रहें, बल्कि सृजनात्मकता और रणनीतिक सोच के साथ मानवता की भलाई में अपना योगदान दें।
वैज्ञानिक सोच और मल्टीडिसिप्लिनरी लर्निंग पर जोर
यूनिवर्सिटी के डीन, प्रो. सुनील झा ने “फिजिकल एआई” की अवधारणा पर प्रकाश डाला और भौतिकी, रसायन और गणित जैसे विषयों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने बीजिंग स्थित एनबीडीएस के सीईओ जैन्सन वोंग के विचारों का हवाला देते हुए कहा कि आज की दुनिया में कोडिंग के साथ-साथ वास्तविक दुनिया के सिद्धांतों को समझना भी आवश्यक है।
छात्रों को आत्मविश्लेषण और नवाचार की सीख
प्रसिद्ध विचारक डॉ. राम चरण ने अपने 60 वर्षों के अंतरराष्ट्रीय अनुभव को साझा करते हुए छात्रों को अपनी प्रतिभा को पहचानने और उसे निखारने की प्रेरणा दी। उन्होंने छात्रों को सलाह दी कि वे प्रत्येक दिन अपने आपसे प्रश्न करें, सोचें और जीवन के हर चरण को सीखने का अवसर मानें। यूनिवर्सिटी को उन्होंने केवल शिक्षा का केंद्र नहीं, बल्कि आत्म-खोज और उद्देश्य निर्माण का स्थान बताया।
यूनिवर्सिटी की दृष्टि और उद्योग से जुड़ाव
अदाणी यूनिवर्सिटी के प्रोवोस्ट डॉ. रवि पी. सिंह ने कहा कि यूनिवर्सिटी के इंटीग्रेटेड प्रोग्राम्स न केवल तकनीकी शिक्षा प्रदान करेंगे बल्कि छात्रों को असली दुनिया की समस्याओं के समाधान हेतु सक्षम भी बनाएंगे। उन्होंने कहा, “आप AI, सस्टेनेबिलिटी या इन्फ्रास्ट्रक्चर में रुचि रखते हों, आप सही जगह और सही समय पर हैं।”
सुदीप्त भट्टाचार्य ने AI क्रांति को “सोचने वाली मशीनों” की शुरुआत बताते हुए कहा कि यह पहली औद्योगिक क्रांति है, जो इंसानी मानसिकता को सीधे चुनौती दे रही है। उन्होंने छात्रों से इनोवेटिव सोच के साथ राष्ट्र निर्माण की दिशा में आगे बढ़ने की अपील की।
धन्यवाद और नई उम्मीदों के साथ समापन
कार्यक्रम का समापन यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ. अमिश कुमार व्यास ने उत्साह और उम्मीदों से भरे धन्यवाद ज्ञापन के साथ किया। उन्होंने नए छात्रों में दिख रही ऊर्जा और संभावनाओं की सराहना की और उन्हें यूनिवर्सिटी जीवन की सकारात्मक शुरुआत की शुभकामनाएं दीं।