ज्योतिषीय दृष्टिकोण से देखा जाए, तो कुंडली में कई बार ऐसे ग्रहों की स्थितियां बन जाती हैं, जो जीवन में निरंतर बाधाएं उत्पन्न करती हैं। इन्हीं में से एक अत्यंत गंभीर दोष है, काल सर्प दोष। इसे सबसे अधिक पीड़ादायक और अशुभ दोषों में गिना जाता है, जो व्यक्ति को मानसिक, आर्थिक और पारिवारिक स्तर पर गहरे प्रभाव से प्रभावित करता है।
इस दोष के कारण व्यक्ति को जीवन में बार-बार असफलता, तनाव और रुकावटों का सामना करना पड़ता है। यदि आप भी इस दोष से पीड़ित हैं, तो नाग पंचमी का पावन दिन आपके लिए समाधान लेकर आ सकता है।
क्या होता है काल सर्प दोष और इसके प्रभाव?
जब किसी व्यक्ति की कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच में आ जाते हैं, तो इसे काल सर्प दोष कहा जाता है। यह दोष व्यक्ति के जीवन में हर क्षेत्र को प्रभावित करता है, चाहे वह करियर हो, आर्थिक स्थिति, शिक्षा, विवाह या संतान सुख। काल सर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति को हर समय असमंजस, भय और संघर्ष की स्थिति का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, कई बार स्वास्थ्य समस्याएं, कोर्ट-कचहरी के मामले या नौकरी में रुकावटें भी इसी दोष के कारण होती हैं।
काल सर्प दोष से मुक्ति के लिए रामबाण उपाय
काल सर्प दोष को दूर करने के लिए कई उपाय बताए गए हैं, जैसे शिवलिंग पर दूध चढ़ाना, शिव मंदिरों में अभिषेक करना, विशेष मंत्रों का जाप करना आदि। हालांकि, ये उपाय इस दोष के प्रभाव को कुछ हद तक तो कम कर सकते हैं, लेकिन इससे पूर्ण मुक्ति नहीं मिलती। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, काल सर्प दोष से हमेशा के लिए मुक्ति पाने का सबसे प्रभावी तरीका है, काल सर्प दोष निवारण पूजा।
काल सर्प दोष निवारण पूजा का महत्व
यह पूजा विशेष रूप से भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए की जाती है। मान्यता है कि शिव जी के गले में वास करने वाले नाग देवता स्वयं इस पूजा के माध्यम से शांत होते हैं। इस पूजा के दौरान विशेष विधि से मंत्रों का जाप, रुद्राभिषेक, नागों का पूजन, हवन और तर्पण आदि किए जाते हैं। यदि यह पूजा सही तरीके से किसी योग्य ब्राह्मण या पुरोहित के माध्यम से करवाई जाए, तो मात्र एक ही दिन में काल सर्प दोष से मुक्ति संभव हो सकती है।
कहां कराएं यह पूजा? उज्जैन है सबसे पवित्र स्थल
भारत में कई ऐसे स्थान हैं जहां यह पूजा की जाती है, लेकिन मध्य प्रदेश का उज्जैन इस विशेष पूजा के लिए अत्यंत प्रसिद्ध है। यह स्थान इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यहां भगवान शिव महाकाल के रूप में स्वयं विराजमान हैं, जिन्हें ‘कालों के भी काल’ कहा जाता है। उज्जैन में की गई पूजा न केवल दोष से मुक्ति दिलाती है, बल्कि जीवन में स्थिरता, सुख-समृद्धि और शांति भी प्रदान करती है।