Shubman Gill: मैनचेस्टर के भारी बादलों और दबाव भरे माहौल में, शुभमन गिल ने अपने करियर की सबसे महत्वपूर्ण पारी खेली और न सिर्फ भारत को संकट से उबारा, बल्कि क्रिकेट इतिहास में एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड भी अपने नाम किया। चौथे टेस्ट के अंतिम दिन, जब भारत की शुरुआत बेहद खराब रही थी और दोनों सलामी बल्लेबाज पहले ही ओवर में पवेलियन लौट गए थे, गिल ने मोर्चा संभाला और संयमित शतक जमाकर मैच की दिशा ही बदल दी।
गिल उस समय क्रीज पर उतरे जब स्कोरबोर्ड पर शून्य रन और दो विकेट गिर चुके थे। कप्तान के तौर पर उनकी रणनीतियों पर पहले से ही सवाल उठ रहे थे – खासकर इंग्लैंड की पहली पारी के दौरान उनके फील्ड प्लेसमेंट और गेंदबाजी में बदलाव को लेकर। लेकिन गिल ने इन आलोचनाओं का जवाब अपने बल्ले से दिया।
Shubman Gill का कमाल
25 वर्षीय गिल ने चौथे दिन के अंत तक 78 रन बनाकर टिके रहने के बाद पांचवें दिन शानदार शतक पूरा किया। उन्होंने सुबह के सत्र में एक खूबसूरत कट शॉट के साथ अपना शतक पूरा किया। यह उनकी सीरीज का चौथा शतक था, जिससे वह एक खास क्लब में शामिल हो गए – वह सुनील गावस्कर और विराट कोहली के बाद एक ही टेस्ट श्रृंखला में चार शतक जमाने वाले तीसरे भारतीय बल्लेबाज बने।
सबसे अहम बात यह रही कि उन्होंने डॉन ब्रैडमैन का दशकों पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया। ब्रैडमैन ने 1938 की एशेज सीरीज में इंग्लैंड की धरती पर कप्तान के रूप में चार शतक जमाए थे। अब गिल ने पांचवां शतक लगाकर उन्हें पीछे छोड़ दिया है और इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज में सबसे ज़्यादा शतक लगाने वाले कप्तान बन गए हैं।
गिल ने इस सीरीज में 700 रन का आंकड़ा भी पार कर लिया, और इस तरह वे यशस्वी जायसवाल के 712 रनों को पार कर गए जो उन्होंने 2024 में इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज में बनाए थे। अब उनसे आगे सिर्फ सुनील गावस्कर हैं, जिन्होंने 1971 में वेस्टइंडीज दौरे पर 774 रन बनाए थे।
Shubman Gill और राहुल के बीच अच्छी साझेदारी
गिल की यह पारी सिर्फ आंकड़ों के लिहाज़ से नहीं, बल्कि भावनात्मक और मानसिक दृढ़ता के नजरिए से भी बेहद खास रही। उन्होंने शुरुआत में एक हैट्रिक बॉल का सामना किया, लेकिन आक्रामक रवैये के साथ आगे बढ़ते गए। उनका 188 रनों की साझेदारी केएल राहुल के साथ तीसरे विकेट के लिए मैच में टर्निंग पॉइंट साबित हुई। इस साझेदारी ने न सिर्फ इंग्लिश गेंदबाजों को थकाया, बल्कि भारत को स्थिरता भी दी।
पारी के अंतिम चरण में गिल को उंगलियों में चोट भी लगी, लेकिन उन्होंने अपना संयम नहीं खोया और पूरी तरह नियंत्रण में नजर आए। कप्तानी के दबाव और चुनौतीपूर्ण इंग्लिश परिस्थितियों के बावजूद, गिल ने जिस परिपक्वता और संतुलन के साथ बल्लेबाजी की, वह उन्हें एक अलग स्तर पर ले जाती है।