IND vs ENG: रवींद्र जडेजा और वॉशिंगटन सुंदर ने जड़ा शानदार शतक, 35 साल बाद मैनचेस्टर में ड्रॉ करवाया टेस्ट मैच

IND vs ENG: मैनचेस्टर के ऐतिहासिक मैदान पर खेले गए टेस्ट मुकाबले में टीम इंडिया ने अद्भुत जुझारूपन दिखाते हुए मुकाबला ड्रॉ करवाया। एक समय ऐसा लग रहा था कि इंग्लैंड यह टेस्ट मैच और सीरीज दोनों अपने नाम कर लेगा, लेकिन भारतीय बल्लेबाजों ने इंग्लिश उम्मीदों पर पानी फेरते हुए 35 साल बाद इस मैदान पर टेस्ट ड्रॉ कराने में सफलता हासिल की।

टेस्ट की शुरुआत भारत के टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने से हुई। भारतीय टीम ने पहली पारी में 358 रन बनाए। जवाब में इंग्लैंड ने जोरदार बल्लेबाजी करते हुए 669 रन ठोक दिए। जो रूट और बेन स्टोक्स के शानदार शतकों ने मेजबानों को 311 रनों की बड़ी बढ़त दिला दी। इस बढ़त के बाद ऐसा लगने लगा था कि भारत इस मुकाबले को एक पारी से हार जाएगा।

IND vs ENG: दूसरी पारी में खराब शुरुआत, फिर आया टर्निंग पॉइंट

दूसरी पारी में भारतीय टीम की शुरुआत बेहद निराशाजनक रही। यशस्वी जायसवाल और डेब्यू कर रहे साई सुदर्शन खाता भी नहीं खोल पाए। मैच का रुख इंग्लैंड की ओर झुकता दिखाई दे रहा था, लेकिन फिर कप्तान शुभमन गिल और केएल राहुल ने मोर्चा संभाला। दोनों ने मिलकर 417 गेंदें खेलीं और इंग्लैंड को पूरे चौथे दिन कोई विकेट नहीं लेने दिया।

पांचवें दिन की शुरुआत में केएल राहुल 90 रन पर आउट हो गए। उस वक्त एक बार फिर लगने लगा कि टीम इंडिया दबाव में आ जाएगी, लेकिन इसके बाद वॉशिंगटन सुंदर ने कमान संभाली।

जडेजा और सुंदर की शतकीय साझेदारी ने बदला खेल

शुभमन गिल ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए सीरीज का अपना चौथा शतक पूरा किया, हालांकि शतक पूरा करने के तुरंत बाद वे आउट हो गए। इसके बाद रवींद्र जडेजा और वॉशिंगटन सुंदर ने भारतीय पारी को मजबूती दी। दोनों बल्लेबाजों ने मिलकर लगभग 56 ओवरों तक डटकर बल्लेबाजी की और इंग्लैंड के गेंदबाजों को पूरी तरह थका दिया।

बेन स्टोक्स ने एक समय आपसी सहमति से मैच ड्रॉ करने की पेशकश की, लेकिन भारतीय टीम ने तब तक हामी नहीं भरी जब तक दोनों बल्लेबाज शतक नहीं बना लेते। जडेजा ने अपने टेस्ट करियर का पांचवां शतक जड़ा, जबकि वॉशिंगटन सुंदर ने टेस्ट करियर का पहला शतक बनाकर खुद को साबित कर दिया।

IND vs ENG: भारत ने दूसरी पारी में बनाए 425/4

भारतीय टीम ने दूसरी पारी में केवल 4 विकेट खोकर 425 रन बनाए और अंत में मैच को ड्रॉ करवा लिया। यह मैनचेस्टर में भारत का 35 वर्षों में पहला ड्रॉ रहा, जो टीम की जुझारूपन और बल्लेबाजों की दमदार मानसिकता का प्रतीक है।

इस ड्रॉ के साथ भारत ने न सिर्फ मैच बचाया, बल्कि इंग्लैंड के खिलाफ एक मजबूत मानसिक बढ़त भी हासिल की है। रवींद्र जडेजा और वॉशिंगटन सुंदर की पारियां लंबे समय तक याद रखी जाएंगी।