भारतीय सनातन संस्कृति में हर त्योहार केवल एक परंपरा नहीं बल्कि आस्था और शक्ति का प्रतीक होता है। इन्हीं विशेष पर्वों में से एक है दुर्गा अष्टमी, जो शक्ति की देवी मां दुर्गा को समर्पित है। मां दुर्गा को संपूर्ण ब्रह्मांड की अधिष्ठात्री शक्ति माना जाता है, जिनकी पूजा से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और जीवन में उन्नति आती है। यह पर्व हर माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, लेकिन कुछ अष्टमियों का विशेष महत्व होता है, जैसे कि चैती, आश्विन और सावन मास की दुर्गा अष्टमी।
पूर्व भारत में खास महत्व: संस्कृति और परंपरा का पर्व
हालांकि दुर्गा अष्टमी पूरे भारत में मनाई जाती है, लेकिन पूर्वोत्तर राज्यों खासकर पश्चिम बंगाल, असम और त्रिपुरा में इसकी विशेष महत्ता है। पश्चिम बंगाल में यह पर्व अत्यंत भव्यता और उत्साह से मनाया जाता है। इस दौरान दस दिनों का विशेष उत्सव होता है, जिसे दुर्गा पूजा के नाम से जाना जाता है। राज्य के स्कूल-कॉलेज तक बंद रहते हैं, बाजारों में रौनक होती है, और महिलाएं पारंपरिक लाल पाड़ की साड़ी पहनकर मां दुर्गा की पूजा करती हैं, जो वहां की सांस्कृतिक पहचान बन चुकी है।
व्रत का महत्व और देवी की कृपा
हर महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाने वाला यह पर्व उपवास और पूजन का दिन होता है। इस दिन व्रत रखने से मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। धार्मिक मान्यता है कि अष्टमी के दिन व्रत रखने वाला व्यक्ति सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति पाता है और उसे मनचाहा फल प्राप्त होता है। मां भगवती की आराधना करने से व्यक्ति के जीवन में नकारात्मकता दूर होती है और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।
इस वर्ष सावन की दुर्गा अष्टमी: तिथि और मुहूर्त
सावन मास में पड़ने वाली दुर्गा अष्टमी का विशेष महत्व होता है। वर्ष 2025 में यह पावन तिथि 1 अगस्त को मनाई जाएगी। वैदिक पंचांग के अनुसार अष्टमी तिथि का आरंभ सुबह 4:58 बजे होगा और इसका समापन 2 अगस्त को सुबह 7:23 बजे होगा। ऐसे में उदया तिथि को मान्यता देने के आधार पर 1 अगस्त को दुर्गा अष्टमी व्रत और पूजा संपन्न होगी। इस दिन निशा काल (रात्रिकालीन समय) में मां दुर्गा की विशेष आराधना का विधान है।
पावन अवसर पर बन रहे हैं विशेष योग
इस बार की दुर्गा अष्टमी पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं, जो इसे और भी पुण्यदायी बनाते हैं। भद्र वास योग, भद्र योग, शुभ योग, आदि इस तिथि पर प्रभावी रहेंगे, जो किसी भी कार्य की शुरुआत के लिए अत्यंत अनुकूल माने जाते हैं। जो भी व्यक्ति इस दिन व्रत रखकर पूजा करेगा, उसे विशेष फल की प्राप्ति होगी। ज्योतिषियों के अनुसार, यह दिन नए कार्य की शुरुआत या किसी महत्वपूर्ण निर्णय के लिए बहुत ही शुभ है।
मां दुर्गा: शक्ति की साक्षात देवी
मां दुर्गा को दस भुजाओं वाली देवी के रूप में पूजा जाता है, जो अलग-अलग अस्त्र-शस्त्र धारण करती हैं। यह उनके बहुआयामी स्वरूप और शक्तियों का प्रतीक है। उनके हाथों में तलवार, त्रिशूल, गदा, चक्र, शंख आदि होते हैं, जो बुराई के विनाश और धर्म की रक्षा के प्रतीक हैं। उनका स्वरूप यह संदेश देता है कि ईश्वर अपने भक्तों की हर परिस्थिति में रक्षा करते हैं। जो भी सच्चे मन से उन्हें स्मरण करता है, मां उसकी हर बाधा हर लेती हैं।
पूजा का लाभ और आत्मिक उन्नति
दुर्गा अष्टमी की पूजा केवल भौतिक सुखों की प्राप्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आत्मिक शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का भी माध्यम है। इस दिन की गई पूजा से मन, शरीर और आत्मा को संतुलित करने वाली ऊर्जा प्राप्त होती है। साधक को मानसिक दृढ़ता, साहस और आत्मविश्वास मिलता है, जिससे वह जीवन की कठिनाइयों का सामना सहजता से कर सकता है।