Nisar Launch Today: भारत एक बार फिर अंतरिक्ष की दुनिया में इतिहास रचने के लिए तैयार है। शुभांशु शुक्ला के ऐक्सियम-4 मिशन की गूंज अभी थमी भी नहीं थी कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक और बड़ी उड़ान भरी है। इस बार वह अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के साथ मिलकर पृथ्वी अवलोकन के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी मिशन — नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (NISAR) — लॉन्च करने जा रहा है।
Nisar Launch Today: पृथ्वी की सतह के नीचे की हरकतें भी आएंगी नजर
निसार मिशन एक अत्याधुनिक पृथ्वी अवलोकन उपग्रह है जो अब तक के किसी भी अन्य मिशन से कहीं ज्यादा सटीकता से पृथ्वी की गतिविधियों को रिकॉर्ड करेगा। यह उपग्रह पृथ्वी की सतह पर होने वाली सबसे सूक्ष्म हलचलों को भी दर्ज करने में सक्षम होगा — चाहे वे सतह के ऊपर हों या अंदर।
निसार को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शक्तिशाली GSLV Mk II रॉकेट के जरिए लॉन्च किया जाएगा।
Nisar Launch Today: निसार को बनाता है क्या खास?
यह उपग्रह हर 97 मिनट में पृथ्वी की एक परिक्रमा करेगा और 12 दिनों के भीतर पूरी पृथ्वी की ज़मीन और बर्फ से ढकी सतह को मैप कर लेगा। इससे मिलने वाला डेटा ओपन-सोर्स होगा और दुनियाभर के वैज्ञानिकों, जलवायु विशेषज्ञों और आपदा प्रबंधन एजेंसियों के लिए निःशुल्क उपलब्ध रहेगा।
निसार की सबसे बड़ी ताकत है इसका दुनिया का पहला डुअल-फ्रीक्वेंसी सिंथेटिक अपर्चर रडार सिस्टम, जिसमें नासा का L-बैंड रडार और इसरो का S-बैंड रडार शामिल है। यह संयोजन उपग्रह को बादलों, जंगलों, धुएं और अंधकार के पार भी देखने की क्षमता देता है। इससे पृथ्वी की सतह पर महज कुछ मिलीमीटर के परिवर्तन भी दर्ज किए जा सकेंगे।
इससे ग्लेशियरों की गति, भूकंप के फॉल्ट लाइन में हो रही हलचल और भूजल की कमी के कारण शहरी क्षेत्रों में हो रही ज़मीन धंसने जैसी घटनाओं की निगरानी की जा सकेगी।
Nisar Launch Today: भारत को क्या मिलेगा इस मिशन से?
निसार मिशन की कुल लागत करीब 12,500 करोड़ रुपये (1.5 बिलियन डॉलर) है, जिसमें से भारत का योगदान सिर्फ 788 करोड़ रुपये (लगभग 96 मिलियन डॉलर) है। यह राशि सुनने में कम लग सकती है, लेकिन इसका रणनीतिक महत्व अत्यधिक है।
भारत को इस निवेश से मिलेगी:
-
विश्वस्तरीय उपग्रह डेटा तक मुफ्त और रीयल-टाइम पहुंच
-
इसरो द्वारा विकसित S-बैंड रडार जैसी तकनीकी विशेषज्ञता
-
आपदा प्रबंधन के लिए बेहतर उपकरण — बाढ़, भूकंप और भूस्खलन जैसी घटनाओं की सटीक भविष्यवाणी
-
जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर निगरानी — जैसे हिमालयी ग्लेशियरों का पिघलना, जल संसाधनों का नियोजन और कृषि नीति निर्माण
-
भारत की वैज्ञानिक और वैश्विक नेतृत्व क्षमता को मजबूती
Nisar Launch Today : भारत की जलवायु और अंतरिक्ष रणनीति का आधार
निसार मिशन न केवल अंतरिक्ष विज्ञान में भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता को दर्शाता है, बल्कि यह देश की सतत विकास नीति और जलवायु परिवर्तन से निपटने की रणनीति में भी मील का पत्थर साबित होगा। असम की बाढ़ पूर्व चेतावनी प्रणाली हो या हिमालय में हो रहे जलवायु परिवर्तन की निगरानी — निसार हर पहलू में एक अहम भूमिका निभाएगा।