खेलो की दुनिया में एक नया अद्याय शुरू होने जा रहा है। अब विश्व स्तर की प्रतिस्पर्दा में महिलाओँ को अपना SRY जीन टेस्ट करवाना होगा, अगर कोई भी एथलीट ऐसा नहीं कर पाता है तो उसको वर्ल्ड रैंकिंग स्पर्धाओं में हिस्सा नहीं लेने दिया जायेगा। अब आप सोच रहे होंगे की आखिर ये फैसला क्यों लिया गया है ? तो आपको बता दे की कई खिलाडी अपना लिंग परिवर्तन करा कर महिला एथलीट्स प्रतियोगिता में हिस्सा लेते है ये घटना कई सालो से बढ़ती जा रही है। जिसके चलते वर्ल्ड एथलेटिक्स काउंसिल ने ये फैसला लिया है।
आज यानी 31 जुलाई को यह ऐलान किया कि 1 सितंबर 2025 से महिला एथलीट्स को एक अपना SRY जीन टेस्ट कराना जरुरी है, काउंसिल ने ये साफ़ कर दिया है की जो खिलाड़ी ये टेस्ट नहीं करायेगा। उसे वर्ल्ड रैंकिंग टूर्नामेंट्स में भाग नहीं लेने दिया जायेगा।
क्या है ये SRY टेस्ट ?
SRY टेस्ट यानी Sex-determining Region Y टेस्ट यह एक जेनेटिक जांच होती है। ये टेस्ट Y क्रोमोसोम की उपस्थिति को आइडेंटिफाई करता है। अब आप सोच रहे होंगे की इस टेस्ट को कैसे करते है, तो चलिए आपको बताते है गाल की अंदरूनी सतह से स्वैब या फिर ब्लड सैंपल लेकर हाई टेक्नोलॉजी वाली मशीनो से जांच की जाती है ।
अगर टेस्ट में Y क्रोमोसोम नहीं पाया जाता, तो खिलाड़ी महिला कैटेगरी में हिस्सा ले सकती है। लेकिन अगर Y क्रोमोसोम मौजूद पाया गया, तो उसे विमेंस कैटेगरी में भाग लेने नहीं दिया जायेगा।
वर्ल्ड एथलेटिक्स अध्यक्ष सेबास्टियन कोए ने कहा – महिला खेलों की गरिमा और निष्पक्षता बनाए रखना हमारी प्राथमिकता है। हम चाहते हैं कि महिला खिलाड़ी यह जानें कि वे बायोलॉजिकल रूप से समान स्तर पर कॉम्पिटिशन कर रही हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि महिला कैटेगरी में हिस्सा लेने के लिए बायोलॉजिकल रूप से महिला होना जरूरी है सिर्फ जेंडर आइडेंटिटी काफी नहीं।
ये नियम 13 सितंबर 2025 से शुरू हो रही, वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप टोक्यो में लागू होगा। यानी टेस्ट पास किए बिना कोई महिला एथलीट ट्रैक पर नहीं उतर सकेगी। हालांकि इस फैसले को लेकर दुनियाभर में बहस चल रही है , कुछ लोग इसे खेलों की पवित्रता की रक्षा मानते हैं, तो कुछ इसे भेदभाव कहते हैं।