भारतीय संस्कृति और स्वाद का जादू एक बार फिर पूरी दुनिया में छा गया है। इस बार चर्चा का केंद्र है ‘Almari Ka Achaar’ जिसने जर्मनी में आयोजित एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय खाद्य पुरस्कार समारोह में न केवल अवॉर्ड जीता, बल्कि भारत का नाम भी गर्व से ऊंचा किया। यह उपलब्धि न सिर्फ भारतीय खाद्य कला की जीत है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे हमारी पारंपरिक रेसिपी वैश्विक मंच पर अपनी छाप छोड़ रही हैं।
‘Almari Ka Achaar’ की कहानी
‘अलमारी का अचार’ कोई साधारण अचार नहीं है। यह एक ऐसी रेसिपी है, जो पीढ़ियों से भारतीय रसोईघरों में संजोई गई है। इसकी खासियत है इसका अनूठा स्वाद, जो स्थानीय मसालों, ताजा सामग्रियों और पारंपरिक तरीकों से तैयार किया जाता है। इस अचार की उत्पत्ति उत्तर भारत के एक छोटे से गांव से मानी जाती है, जहां इसे परिवार की महिलाएं अपनी अलमारी में सुरक्षित रखती थीं, ताकि यह लंबे समय तक ताजा रहे। यही कारण है कि इसे ‘अलमारी का अचार’ नाम दिया गया।
इस अचार को तैयार करने में आम, नींबू, मिर्च और विशेष मसालों का मिश्रण उपयोग किया जाता है, जो इसे एक तीखा और स्वादिष्ट स्वाद देता है। लेकिन इसकी असली खूबी है इसे बनाने की प्रक्रिया, जिसमें समय, धैर्य और प्यार की जरूरत होती है। यह अचार न केवल स्वाद में अनूठा है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की गहराई को भी दर्शाता है।
‘Almari Ka Achaar’: जर्मनी में मिली वैश्विक पहचान
जर्मनी के बर्लिन में आयोजित ‘वर्ल्ड फूड इनोवेशन अवॉर्ड्स 2025’ में ‘अलमारी का अचार’ ने ‘बेस्ट ट्रेडिशनल प्रोडक्ट’ की श्रेणी में पहला स्थान हासिल किया। इस प्रतियोगिता में दुनिया भर के सैकड़ों खाद्य उत्पादों ने हिस्सा लिया था, जिनमें फ्रांस की वाइन, इटली की चीज और जापान के समुद्री व्यंजन शामिल थे। फिर भी, भारत का यह साधारण सा अचार अपनी सादगी और स्वाद के दम पर सभी को पछाड़ने में कामयाब रहा।
पुरस्कार समारोह में जजों ने इस अचार की तारीफ करते हुए कहा कि यह न केवल स्वाद में लाजवाब है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक जीवंत प्रतीक है। उन्होंने इसकी पैकेजिंग, शुद्धता और प्राकृतिक सामग्रियों की गुणवत्ता की भी सराहना की। इस जीत ने न केवल ‘अलमारी का अचार’ को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाई, बल्कि भारतीय खाद्य उद्योग को भी नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।