MP Weather: मध्यप्रदेश में बीते कई दिनों से लगातार हो रही भारी बारिश अब थम गई है। मौसम विभाग ने स्पष्ट किया है कि राज्य में अभी कोई बड़ा मानसूनी सिस्टम सक्रिय नहीं है, जिससे अगले चार दिनों तक भारी बारिश की संभावना नहीं के बराबर है। हालांकि, हल्की से मध्यम बारिश का सिलसिला राज्य के कई हिस्सों में बना रह सकता है। शुक्रवार को भी भोपाल, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर और जबलपुर जैसे बड़े शहरों में हल्की बूंदाबांदी हो सकती है।
15 से ज्यादा जिलों में हुई हल्की बारिश, कहीं भी नहीं हुआ भारी जलवृष्टि का असर
गुरुवार को मध्यप्रदेश के 15 से अधिक जिलों में हल्की बारिश दर्ज की गई। इन जिलों में भोपाल, बैतूल, दतिया, गुना, ग्वालियर, नर्मदापुरम, पचमढ़ी, दमोह, जबलपुर, मंडला, रीवा, बालाघाट, शाजापुर, सीहोर और देवास शामिल हैं। कहीं भी तेज या अति भारी बारिश नहीं हुई, जिससे लोगों को कुछ राहत जरूर मिली है। मौसम विभाग ने इन सभी जिलों के लिए कोई भारी बारिश का अलर्ट भी जारी नहीं किया है।
आने वाले चार दिन रहेंगे शांत – कोई तेज बारिश नहीं, सिस्टम की कमी
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की सीनियर साइंटिस्ट डॉ. दिव्या ई. सुरेंद्रन के अनुसार, अभी फिलहाल कोई भी स्ट्रॉन्ग मानसूनी सिस्टम एक्टिव नहीं है, इसलिए अगले चार दिनों तक राज्य के किसी भी जिले में तेज या भारी बारिश की आशंका नहीं है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि जब अगला सिस्टम सक्रिय होगा, तब एक बार फिर प्रदेश में तेज वर्षा का सिलसिला शुरू हो सकता है।
मानसून ने किया 74% काम पूरा, औसतन 28 इंच बारिश दर्ज
मध्यप्रदेश में 16 जून से मानसून की औपचारिक शुरुआत हो चुकी थी, और तब से लेकर अब तक औसतन 28 इंच बारिश हो चुकी है। यह आंकड़ा राज्य के सीजनल टारगेट का लगभग 74% है। मौसम विभाग के अनुसार, 1 अगस्त तक सामान्य रूप से 17.6 इंच बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन वास्तविक आंकड़ा इससे करीब 10.5 इंच अधिक है, जो बताता है कि इस साल मानसून फिलहाल सामान्य से काफी बेहतर प्रदर्शन कर रहा है।
10 जिलों ने पूरा किया वर्षा लक्ष्य, कुछ में सामान्य से 50% ज्यादा बारिश
प्रदेश के ग्वालियर, राजगढ़, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, मुरैना और श्योपुर जिलों में अब तक की वर्षा सामान्य स्तर से कहीं ज्यादा हो चुकी है। इनमें कुछ जिलों ने तो अपने वार्षिक कोटे से 50% अधिक पानी भी झेल लिया है। खासतौर पर टीकमगढ़ और निवाड़ी में इस साल अब तक सबसे अधिक वर्षा दर्ज की गई है। इसके उलट, इंदौर में इस मानसूनी सीजन में सबसे कम बारिश हुई है, जबकि भोपाल और जबलपुर में लगभग आधा कोटा ही पूरा हो पाया है।