वाराणसी में गंगा उफान पर, 84 घाट जलमग्न, 37 जिलों में रेड अलर्ट, 97 परिवार हुए बेघर

उत्तर प्रदेश में इन दिनों मानसून का विकराल रूप देखने को मिल रहा है। बीते कुछ दिनों से लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने राज्य के अधिकांश हिस्सों को प्रभावित किया है। सड़कें जलमग्न हो गई हैं, आवागमन बाधित हो गया है, और आम जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। सबसे अधिक संकट वाराणसी (काशी) में देखने को मिला है, जहाँ गंगा नदी का जलस्तर खतरनाक रूप से बढ़ गया है। भारी बारिश के चलते राज्य सरकार और आपदा प्रबंधन विभाग पूरी तरह अलर्ट मोड में हैं।

वाराणसी में गंगा उफान पर, डूबे ऐतिहासिक 84 घाट

वाराणसी में गंगा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। शहर के ऐतिहासिक 84 घाट पूरी तरह से पानी में डूब चुके हैं। दशाश्वमेध घाट, मणिकर्णिका घाट, राजेंद्र प्रसाद घाट और अस्सी घाट जैसे प्रमुख घाटों तक लोगों की पहुंच लगभग बंद हो गई है। गंगा आरती जैसे धार्मिक आयोजन अब घाटों के ऊपरी हिस्सों या वैकल्पिक ऊंचे स्थानों पर किए जा रहे हैं। नाविकों ने अपनी नावें घाट किनारे से हटा ली हैं, और स्थानीय व्यवसायियों की दुकानें जलभराव की वजह से बंद हो गई हैं, जिससे रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है।

राज्य के 37 जिलों में भारी बारिश और बाढ़ का रेड अलर्ट

केवल वाराणसी ही नहीं, राज्य के अन्य 37 जिलों में भी भारी बारिश और बाढ़ की गंभीर चेतावनी जारी की गई है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई जिले, जैसे गोरखपुर, बलिया, आजमगढ़, देवरिया, मऊ, सिद्धार्थनगर और बहराइच आदि, विशेष रूप से प्रभावित हैं। इन क्षेत्रों में प्रमुख नदियाँ जैसे घाघरा, राप्ती, शारदा और गंडक खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने अगले 48 घंटों में भारी से अति भारी बारिश की संभावना जताई है, जिससे बाढ़ की स्थिति और गंभीर हो सकती है।

आपदा राहत बल सक्रिय, प्रशासन सतर्क

बढ़ती बारिश और संभावित बाढ़ को देखते हुए प्रशासन ने युद्धस्तर पर तैयारियां शुरू कर दी हैं। SDRF (राज्य आपदा राहत बल) और NDRF (राष्ट्रीय आपदा राहत बल) की टीमें संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात कर दी गई हैं। सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश दिए गए हैं कि वे लगातार हालात की निगरानी करें और किसी भी आपातकालीन स्थिति के लिए तैयार रहें। जिन इलाकों में जलभराव की स्थिति गंभीर है, वहाँ जल निकासी की व्यवस्था की जा रही है और राहत शिविर भी बनाए गए हैं।

97 परिवारों को घर छोड़ने पर मजबूर, राहत शिविरों में शरण

अब तक 97 परिवारों को अपने घर खाली करने पड़े हैं। निचले इलाकों में पानी भर जाने के कारण लोग अपने सामान और बच्चों को लेकर सुरक्षित स्थानों की ओर रुख कर रहे हैं। इन्हें प्रशासन द्वारा अस्थाई राहत शिविरों में रखा गया है, जहाँ उन्हें भोजन, पीने का पानी, दवाइयाँ और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएँ प्रदान की जा रही हैं। कुछ लोग रिश्तेदारों के घरों में शरण ले रहे हैं। प्रशासन का दावा है कि किसी भी व्यक्ति को बिना मदद के नहीं छोड़ा जाएगा।

आगे क्या? संभावित खतरे और प्रशासन की तैयारी

अगर बारिश का सिलसिला यूँ ही जारी रहा, तो नदियों का जलस्तर और अधिक बढ़ सकता है। इससे पुल, सड़कें और ग्रामीण इलाकों में स्थित खेत-खलिहान प्रभावित हो सकते हैं। प्रशासन पहले से ही नावों, राहत सामग्री और स्वास्थ्य टीमों को तैयार रख रहा है। स्कूलों को भी अगले आदेश तक बंद करने पर विचार किया जा रहा है, खासकर बाढ़ प्रभावित इलाकों में। ग्रामीणों को सतर्क रहने और अनावश्यक यात्रा से बचने की सलाह दी गई है।

उत्तर प्रदेश में मानसून इस समय चुनौती बन गया है। धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक गतिविधियाँ प्रभावित हुई हैं। गंगा की बढ़ती जलधारा और राज्य भर में हो रही तेज बारिश ने सरकार और जनता दोनों की परीक्षा लेनी शुरू कर दी है। आगामी दिनों में प्रशासन की तत्परता और आमजन की सतर्कता ही इस संकट से उबारने में मददगार साबित हो सकती है।