मोहम्मद सलीम ने मतदाता सूची पुनरीक्षण को बताया साजिश, भाजपा-RSS पर साधा निशाना

मोहम्मद सलीम : पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीति गरम है। इसकी एक वजह मतदाता सूची की विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया भी है। इसे लेकर चर्चा तेज हो गई है और राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप चल रहे हैं। माकपा नेता मोहम्मद सलीम ने इस प्रक्रिया का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी और अन्य विपक्षी दल इसके खिलाफ हैं और अगर सरकार ने इसे लागू किया, तो वे सड़कों पर उतरकर विरोध करेंगे।

एसआईआर: भाजपा और आरएसएस की नई साजिश?

मोहम्मद सलीम ने कहा कि एसआईआर भाजपा और आरएसएस की समाज को बांटने की साजिश है। इसका मकसद कमजोर वर्ग जैसे आदिवासी, मुस्लिम, अनुसूचित जाति और गरीबों को मतदाता सूची से बाहर करना है, खासकर जिनके पास दस्तावेज नहीं हैं। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया ममता बनर्जी की पुरानी राजनीति से शुरू हुई। जब ममता बनर्जी एनडीए में थीं, तब उन्होंने लोकसभा में बंगाल की वोटर लिस्ट को फेंक कर कहा था कि इसमें बांग्लादेशी वोटर हैं और वोटर लिस्ट सही किए बिना चुनाव नहीं होंगे।

चुनाव आयोग पर विपक्ष ने लगाए गंभीर आरोप

सलीम ने कहा कि चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र, हरियाणा, दिल्ली और मुर्शिदाबाद में चुनाव के दौरान गलत तरीके अपनाए, जिससे ruling पार्टी को फायदा मिला। जब विपक्ष ने चुनाव आयोग से इन बातों पर सवाल किए, तो ममता बनर्जी ने जनवरी में मतदाता सूची को लेकर फिर सवाल उठाए। इससे चुनाव आयोग को एसआईआर शुरू करने का मौका मिला। सलीम ने कहा कि वे इस प्रक्रिया को किसी भी हालत में रोकेंगे।

सलीम ने मालेगांव ब्लास्ट केस में जांच एजेंसियों पर उठाया गंभीर सवाल

मालेगांव ब्लास्ट मामले में जब सभी आरोपियों को एनआईए कोर्ट ने बरी किया, तो मोहम्मद सलीम ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यह सही बरी होना नहीं है क्योंकि पुलिस, जांच एजेंसियों और सरकारी वकीलों ने कोई सबूत पेश नहीं किए। उन्होंने याद दिलाया कि भाजपा और केंद्र सरकार ने साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित की रिहाई के लिए जोर लगाया था। सलीम ने कहा कि जांच राजनीतिक दबाव में हुई और सरकार पहले से आरोपियों को बचाने की योजना में थी