अब सरकार लाएगी अपनी टैक्सी, खत्म होगी ओला-उबर की बादशाहत?

भारत में सहकारी आंदोलन अब परिवहन क्षेत्र में अपनी गहरी छाप छोड़ने को तैयार है। सहकारी संगठनों ने मिलकर एक नई टैक्सी सेवा शुरू करने का निर्णय लिया है, जो ओला और उबर जैसी दिग्गज निजी कंपनियों को सीधी चुनौती देगी। यह टैक्सी सेवा ‘भारत ब्रांड’ के तहत साल 2025 के अंत तक शुरू की जाएगी, और इसे 300 करोड़ रुपये की अधिकृत पूंजी के साथ लॉन्च किया जा रहा है।

आठ बड़ी सहकारी समितियों का साथ

यह सेवा बहु-राज्य सहकारी टैक्सी कोऑपरेटिव लिमिटेड द्वारा चलाई जाएगी, जिसकी स्थापना 6 जून को हुई थी। यह संगठन राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC), इफको, गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ (अमूल/GCMMF) समेत आठ प्रमुख सहकारी समितियों के सहयोग से तैयार किया गया है। पिछले महीने केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने देश की पहली सहकारी टैक्सी सेवा की घोषणा करते हुए इसे सहकारिता क्षेत्र के भविष्य के लिए एक निर्णायक कदम बताया था।

टैक्सी चालकों को मिलेगा बेहतर मुनाफा

एनसीडीसी के उप प्रबंध निदेशक रोहित गुप्ता ने जानकारी दी कि इस पहल का मुख्य उद्देश्य ड्राइवरों को ज्यादा रिटर्न देना और यात्रियों को सुरक्षित, सस्ती और गुणवत्तापूर्ण सेवा उपलब्ध कराना है। खास बात यह है कि यह पूरी योजना सरकारी हिस्सेदारी से मुक्त होगी और केवल सहकारी संस्थाओं द्वारा वित्त पोषित रहेगी। इसके संस्थापक संगठनों में कृभको, नाबार्ड, एनडीडीबी और एनसीईएल भी शामिल हैं।

कहां से होगी शुरुआत?

प्रारंभिक चरण में यह सेवा चार राज्यों दिल्ली, गुजरात, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में शुरू की जाएगी। यहां से 50-50 ड्राइवर पहले ही सहकारी समिति के सदस्य बन चुके हैं। यह आंकड़ा जल्द ही कई गुना बढ़ेगा क्योंकि सहकारी संगठन अन्य राज्यों में भी नेटवर्क विस्तार के लिए सक्रिय प्रयास कर रहे हैं।

टेक्नोलॉजी साझेदार की तलाश और ऐप विकास

इस सेवा के लिए एक राइड-हेलिंग ऐप विकसित किया जा रहा है, जिसके लिए एक टेक्नोलॉजी पार्टनर चुनने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। रोहित गुप्ता ने बताया कि दिसंबर 2025 तक यह ऐप तैयार हो जाएगा, और इसे इस्तेमाल में लाने की पूरी तैयारी चल रही है। इस टेक प्लेटफॉर्म की रणनीति और ब्रांडिंग के लिए IIM-बेंगलुरु को तकनीकी सलाहकार के रूप में जोड़ा गया है।

पारदर्शी और सहकारी मूल्य निर्धारण मॉडल

यह टैक्सी सेवा एक सहकारी मूल्य निर्धारण मॉडल पर आधारित होगी, जिसका मतलब है कि न तो ड्राइवरों का शोषण होगा और न ही यात्रियों से अनावश्यक वसूली। सभी लाभ सदस्यों के हित में साझा किए जाएंगे, जिससे पारदर्शिता और सामूहिकता को बढ़ावा मिलेगा। इस समय सेवा के संचालन को मजबूती देने के लिए सदस्यता अभियान भी चलाया जा रहा है।

निजी एकाधिकार को चुनौती

यह पहल ऐसे समय में की जा रही है जब देश के राइड-हेलिंग मार्केट पर निजी कंपनियों का प्रभाव बहुत अधिक है। सहकारी क्षेत्र अब अपनी सामूहिक शक्ति और लोक आधारित संरचना के जरिए इस एकाधिकार को तोड़ने का प्रयास कर रहा है। इससे न केवल ड्राइवर सशक्त होंगे, बल्कि यात्रियों को भी एक भरोसेमंद और सस्ता विकल्प उपलब्ध होगा।