Dmitry Medvedev: रूस के पूर्व राष्ट्रपति और वर्तमान में रूस की सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव एक बार फिर वैश्विक सुर्खियों में हैं। इस बार कारण है अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ उनका तीखा वाकयुद्ध, जिसने इतना तूल पकड़ लिया कि ट्रंप को दो परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती का आदेश देना पड़ा।
Dmitry Medvedev और ट्रंप के बीच तनाव
मामला तब शुरू हुआ जब ट्रंप ने यूक्रेन में चल रहे युद्ध को रोकने के लिए रूस को एक प्रकार का ‘अल्टीमेटम’ दिया। इसके जवाब में दिमित्री मेदवेदेव ने ट्रंप को चेतावनी देते हुए कहा कि ऐसे अल्टीमेटम रूस और अमेरिका के बीच सीधे युद्ध का कारण बन सकते हैं।
एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर मेदवेदेव ने लिखा, “हर नया अल्टीमेटम एक धमकी है, और युद्ध की ओर बढ़ाया गया कदम है — यूक्रेन और रूस के बीच नहीं, बल्कि अमेरिका के साथ। नींद में चलने वाले जो (बाइडन) की राह पर मत चलो!”
ट्रंप की प्रतिक्रिया: परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती
मेदवेदेव के बयानों को “उकसावे वाले” बताते हुए ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ सोशल पर घोषणा की कि उन्होंने दो परमाणु पनडुब्बियों को “उचित क्षेत्रों” में तैनात करने का आदेश दिया है। ट्रंप ने कहा, “शब्द मायने रखते हैं और कभी-कभी वे अनचाहे परिणाम दे सकते हैं। उम्मीद करता हूं कि यह मामला उन में से एक न बने।”
कौन हैं Dmitry Medvedev ?
दिमित्री मेदवेदेव ने 2008 से 2012 तक रूस के राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। उस समय व्लादिमीर पुतिन प्रधानमंत्री थे, क्योंकि रूसी संविधान के तहत पुतिन लगातार तीसरा कार्यकाल नहीं ले सकते थे। 2012 में सत्ता की अदला-बदली हुई और पुतिन दोबारा राष्ट्रपति बने जबकि मेदवेदेव प्रधानमंत्री की भूमिका में आ गए। वह 2020 तक इस पद पर रहे और फिर रूस की सुरक्षा परिषद में उपाध्यक्ष के रूप में नियुक्त किए गए।
मेदवेदेव कानून के छात्र रहे हैं और राजनीति में आने से पहले उन्होंने कुछ समय निजी क्षेत्र में भी काम किया। उनके माता-पिता विश्वविद्यालय में शिक्षक थे। जब वे राष्ट्रपति बने, तब पश्चिमी देशों को उम्मीद थी कि वे अमेरिका और यूरोप से रिश्ते सुधारने की दिशा में काम करेंगे। इसी दौरान उन्होंने अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ न्यू START न्यूक्लियर डील पर हस्ताक्षर किए थे।
Dmitry Medvedev : युद्ध समर्थक छवि और विवादित बयान
हाल के वर्षों में मेदवेदेव की छवि पूरी तरह बदल चुकी है। वे रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रबल समर्थक बन चुके हैं और अक्सर आक्रामक बयानबाज़ी करते हैं। उन्होंने यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की को ‘नशेड़ी’, ‘अपराधी’, ‘चूहा’ और ‘कीड़ा’ जैसे शब्दों से संबोधित किया है। वे कई बार “न्यूक्लियर सर्वनाश” की चेतावनी भी दे चुके हैं।
उनकी इसी तीखी भाषा शैली और उग्र तेवरों के कारण वे अक्सर पश्चिमी देशों के निशाने पर रहते हैं। अब जब उन्होंने ट्रंप को भी चेतावनी दी है, तो यह स्पष्ट है कि उनका लक्ष्य सिर्फ यूक्रेन ही नहीं, बल्कि अमेरिका को भी सीधे टकराव के दायरे में लाना है।