इंदौर नगर निगम के बड़े घोटाले, जनता के पैसे की हुई खुली लूट, बोली – कांग्रेस

Indore News : भाजपा और महापौर पुष्यमित्र भार्गव के दावों की वास्तविकता शहर की जमीनी स्थिति से मेल नहीं खाती। तीन सालों में जो ‘असंभव कार्यों को संभव’ बनाने का दावा हुआ है, असलियत में वही सबसे ज्यादा अधूरे और जनविरोधी साबित हुए हैं।

मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता राजेश चौकसे एवं प्रवक्ता अमित चौरसिया मे अपने संयुक्त प्रेस बयान में इंदौर नगर निगम भाजपा परिषद एवं महापौर के कार्यकाल पर तीखे प्रश्न उठाते हुए कहा कि –

1. सड़कों और बुनियादी सुविधाओं की बदहाली के लिए कौन जवाबदार : नगर निगम के तमाम वादों के बाद भी शहर की सड़कों की हालत बेहद खराब है। बार-बार पैचवर्क, गड्ढे और अधूरी सड़क परियोजनाएं आम जनता की परेशानी का कारण बनी हुई हैं ? सरवटे टु गंगावल बस स्टेण्ड, चिकमंगलूर टु बड़ागणपति, चन्दन नगर रिंग रोड जैसी महत्वपूर्ण सड़को का निर्माण कार्य अधर मे लटका हुआ है। कांग्रेस प्रवक्ताओं ने कहा कि तीन सालों में सड़कों की हालत बदतर हुई है लगातार मरम्मत जरूरी पड़ी, कई लेफ्ट टर्न और सड़कें अधूरी हैं तथा गड्ढे और टूटी सड़कें दुर्घटनाओं के कारण बने हैं शहर की तमाम सड़को पर घंटो का जाम आम समस्या बन गई है।

2. स्वच्छता और प्रशासनिक पारदर्शिता पर सवाल: स्वच्छता मिशन और डिजिटल पोर्टल जैसी योजनाओं के बावजूद हजारों शिकायतें निगम एप पर लंबित हैं, और नागरिकों की सुनवाई नहीं हो रही है पूर्व मे डिलीट हुआ सम्पति कर का डाटा अभी तक रिकवर नहीं हुआ।

3. जनहित की अनदेखी ट्रेफीक मित्र निकला जुमला : इनोवेशन और नई व्यवस्था के नाम पर आम जनता को ज्यादा परेशानी हुई है। यातायात प्रबंधन में बार-बार बदलावों से शहरवासियों को असुविधा हुई और मलिन बस्तियों में बुनियादी सुविधाओं की कमी आज भी बरकरार है। शहर की प्रमुख सड़को पर घंटो का जाम न कभी महापौर दिखे न ही उनके ट्रेफीक मित्र।

4. कर वृद्धि और वित्तीय बोझ : चुनाव के समय टैक्स न बढ़ाने का वादा महज दिखावा रहा। टैक्स में बेतहाशा बढ़ोतरी कर संपत्ति, जल कर, कचरा शुल्क एवं अन्य करो में 50% तक इज़ाफा करते हुए जनता पर सीधा बोझ डाला गया। जिससे आम आदमी पर आर्थिक बोझ बढ़ा है। इस वादा खिलाफ़ी के लिए कौन सी उपाधि से सम्मानित किया जाए? नगर निगम को आत्मनिर्भर बनाने के दावे भी जुमले साबित हुए। सोलर सिटी बनाने के एम पी ई बी के प्रयासों को खुद का बता पीठ थप थापा रहे है। ग्रीन बॉन्ड के नाम से शहर की जनता को ठगा गया है,महापौर बताएं ग्रीन बॉन्ड खरीदने वाले को कितना मुनाफा मिला?

5. प्रचार बनाम असलियत : डिजिटल अभियान, ‘इंटर्नशिप विद मेयर’,प्रवासी भारतीय सम्मलेन और अन्य आयोजनों से केवल अपनी छवि चमकाई गई, जबकि वास्तविक मुद्दों (गंदा पानी, आवास, अवैध कॉलोनियों) का कोई ठोस समाधान नहीं मिला शहर की जनता ने रियल महापौर चुना था पुष्यमित्र भार्गव सोशल मीडिया के रील महापौर बनकर रह गए।

6. विकेंद्रीकरण की हकीकत : ज़ोन अध्यक्षों और अपील समितियों जैसी बातें केवल कागजों तक सीमित हैं आम नागरिकों की समस्याएं आज भी जस की तस कई बार जोन अध्यक्षों, भाजपा पाषर्दो एवं एमआईसी मेंबरो ओर जोनल अधिकारियो के विवाद सड़को पर आए निगम जोनल कार्यालयों पर क्या कभी महापौर ने जाकर देखा किस तरह जनता के साथ दुर्व्यवहार होता है।