आम लोगों के लिए अच्छी खबर, भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर RBI का बड़ा ऐलान, घटेगा खर्च, बढ़ेगी बचत, जानें कैसे?

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने वित्त वर्ष 2025-26 की तीसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था स्थिर गति से आगे बढ़ रही है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर 6.5% पर रहने का अनुमान है। यह अनुमान बताता है कि वैश्विक चुनौतियों और आर्थिक दबावों के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत आधार पर टिके रहने की दिशा में है। निर्माण, सेवा और व्यापार जैसे क्षेत्रों में निरंतर गतिविधियां बनी रहने से यह वृद्धि और भी सशक्त हो सकती है।

महंगाई दर में गिरावट से आम आदमी को राहत

गवर्नर मल्होत्रा ने मुद्रास्फीति यानी महंगाई पर बात करते हुए कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित मुद्रास्फीति दर घटकर जून में 2.1% पर आ गई, जो कि पिछले 77 महीनों में सबसे निचला स्तर है। खाद्य महंगाई में भारी गिरावट इसका प्रमुख कारण रही। उन्होंने बताया कि पूरे वित्त वर्ष 2025-26 के लिए मुद्रास्फीति का संशोधित अनुमान अब 3.1% है, जबकि पहले यह 3.7% था। इससे यह संकेत मिलता है कि आने वाले महीनों में खाने-पीने की चीजों की कीमतें स्थिर रहेंगी और आम जनता के बजट को राहत मिलेगी।

रेपो दर में कटौती का असर अब भी अर्थव्यवस्था में सक्रिय

RBI गवर्नर ने यह भी बताया कि फरवरी 2025 से अब तक रेपो दर में 1% की कटौती की जा चुकी है, जिसका सकारात्मक प्रभाव अब भी देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति का लाभ अभी जारी है, जिससे उधारी सस्ती हुई है और निवेश को बढ़ावा मिला है। इससे निजी क्षेत्र को विस्तार का अवसर मिला है और मांग में भी स्थिरता आई है। हालांकि, वैश्विक शुल्क और आयात-निर्यात स्थितियों में अनिश्चितता अभी भी चिंता का विषय बनी हुई है।

शहरी खपत में सुधार, ग्रामीण उपभोग स्थिर

मई-जून 2025 के दौरान विभिन्न आर्थिक संकेतकों, जैसे GST कलेक्शन, बिजली की खपत और निर्यात ने मिश्रित प्रदर्शन दिखाया है। हालांकि, शहरी क्षेत्रों में उपभोग (consumption) में सुधार देखने को मिला है, विशेष रूप से सुविधा आधारित (discretionary) खर्चों में। दूसरी ओर, ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोग स्थिर बना हुआ है। इसका मतलब है कि शहरों में लोग अब पहले की तुलना में थोड़ा अधिक खर्च करने लगे हैं, लेकिन गांवों में अभी भी स्थिति संयमित बनी हुई है।

ग्लोबल अनिश्चितताओं से सतर्कता जरूरी

भू-राजनीतिक तनाव, जैसे पश्चिम एशिया और रूस-यूक्रेन संघर्ष, वैश्विक वित्तीय अस्थिरता और अमेरिका-चीन व्यापार तनाव जैसी स्थितियों का सीधा असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है। गवर्नर ने बताया कि हालांकि फिलहाल जोखिम दोनों ओर संतुलित हैं, लेकिन भारत को सतर्क रहना होगा। RBI इन सभी पहलुओं पर लगातार नजर बनाए हुए है ताकि भविष्य में समय रहते नीतियों को समायोजित किया जा सके।

वित्त वर्ष 2025-26 की तिमाहीवार GDP अनुमान

भारतीय रिजर्व बैंक ने साल 2025-26 के लिए तिमाही स्तर पर GDP वृद्धि दर के भी अनुमान पेश किए हैं:
• पहली तिमाही: 6.5%
• दूसरी तिमाही: 6.7%
• तीसरी तिमाही: 6.6%
• चौथी तिमाही: 6.3%
वहीं, वित्त वर्ष 2026-27 की पहली तिमाही के लिए 6.6% की ग्रोथ का अनुमान है। ये आंकड़े यह स्पष्ट करते हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था धीमी लेकिन स्थिर गति से उन्नति कर रही है।

भविष्य के लिए आशावाद लेकिन सतर्कता भी जरूरी

RBI की यह मौद्रिक समीक्षा देश के लिए सकारात्मक संकेत लेकर आई है। महंगाई काबू में है, आर्थिक गतिविधियां रफ्तार पकड़ रही हैं और खपत धीरे-धीरे बढ़ रही है। हालांकि, वैश्विक स्तर पर उठने वाले आर्थिक तूफान से बचने के लिए सतर्कता और सही नीतिगत निर्णय समय-समय पर जरूरी होंगे।