Raksha Bandhan 2025 :इस शुभ मुहूर्त में बांधें राखी, मिलेगी दोगुनी शुभता और भाई-बहन का रिश्ता होगा और भी खास

Raksha Bandhan 2025 : रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहन के प्रेम और विश्वास का सबसे खूबसूरत त्योहार होता है। यह दिन हर साल खास होता है, लेकिन इस बार यानी रक्षाबंधन 2025 पर ऐसा शुभ संयोग बन रहा है जो इस त्योहार को और भी खास बना देगा।

इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं, उनके लिए लंबी उम्र, सुख-शांति और समृद्धि की कामना करती हैं। वहीं भाई बहनों की रक्षा का वादा करता है और उन्हें उपहार देता है। आइए जानें इस साल राखी बांधने का शुभ समय, उसकी सही विधि और इस पर्व का महत्व।

रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त (Raksha Bandhan 2025 Shubh Muhurat)

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, भद्रा काल में राखी बांधना वर्जित होता है क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है। सौभाग्य से इस साल भद्रा काल सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो रहा है, जिससे आप पूरे दिन राखी बांध सकते हैं।

फिर भी विशेष शुभ समय में राखी बांधना सबसे उत्तम माना गया है:

  • अमृत काल: सुबह 6:00 बजे से 7:30 बजे तक
  • शुभ चौघड़िया: दोपहर 12:00 बजे से 1:30 बजे तक
  • अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:00 बजे से 12:50 बजे तक

राखी बांधने की सही विधि (Rakhi Bandhne ki Vidhi)

रक्षाबंधन पर अगर आप सही तरीके से पूजा करें और राखी बांधें, तो उसका प्रभाव और भी शुभ होता है। आइए जानते हैं इसकी सरल विधि:

पूजा की थाली तैयार करें

थाली में राखी, कुमकुम (रोली), चावल (अक्षत), मिठाई और दीपक रखें। चाहें तो फूलों से सजाएं।

सही दिशा चुनें

भाई को पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बिठाएं, यह दिशा सकारात्मकता और शुभता की मानी जाती है।

तिलक करें और आरती उतारें

भाई के माथे पर रोली और अक्षत का तिलक लगाएं। फिर दीपक जलाकर आरती करें और ईश्वर से भाई की लंबी उम्र की कामना करें।

राखी बांधें और मिठाई खिलाएं

अब भाई की दाहिनी कलाई पर राखी बांधें और मिठाई खिलाएं। इसके बाद भाई बहन को उपहार देकर उसकी रक्षा का वचन देता है।

रक्षाबंधन का महत्व (Raksha Bandhan Importance)

रक्षाबंधन सिर्फ एक रस्म नहीं, बल्कि भाई-बहन के अटूट प्रेम, विश्वास और साथ का प्रतीक है। यह त्योहार बताता है कि चाहे कोई भी परिस्थिति हो, भाई-बहन हमेशा एक-दूसरे के साथ खड़े रहते हैं। इतिहास से लेकर आज तक, राखी सिर्फ धागा नहीं रही, बल्कि यह एक भावना है जो भाई-बहन को जोड़ती है। सम्मान, सुरक्षा और स्नेह की भावना।

Disclaimer : यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है। स्वतंत्र समय इसकी प्रामाणिकता या वैज्ञानिक पुष्टि का समर्थन नहीं करता है।