बैंकिंग सेक्टर की बड़ी छलांग, सरकारी बैंकों ने तीन महीने में तोड़े सारे रिकॉर्ड

भारत के सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही (अप्रैल से जून) के नतीजे सामने आ चुके हैं। इस बार सरकारी बैंकों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए रिकॉर्ड मुनाफा कमाया है। कुल मिलाकर सरकारी बैंकों का शुद्ध लाभ 44,218 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जो पिछले साल की इसी तिमाही की तुलना में 11% ज्यादा है।

SBI बना लाभ का सरताज, अकेले कमाया सबसे ज़्यादा

इस शानदार नतीजे में सबसे बड़ा योगदान देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) का रहा, जिसने अकेले 19,160 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया। यह पिछले वर्ष की समान तिमाही की तुलना में 12% की बढ़ोतरी है। SBI का योगदान कुल मुनाफे में 43% का रहा, जिससे यह साफ हो गया कि बैंकिंग सेक्टर की मजबूती में उसकी भूमिका सबसे अहम है।

इंडियन ओवरसीज बैंक की जबरदस्त छलांग

तमिलनाडु स्थित इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB) ने मुनाफे की दौड़ में सबसे तेज़ छलांग लगाई है। इस बैंक का शुद्ध लाभ 76% बढ़कर 1,111 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो सभी सरकारी बैंकों में सबसे तेज़ वृद्धि दर रही।

अन्य बैंकों का भी प्रदर्शन सराहनीय

  • पंजाब एंड सिंध बैंक ने भी अच्छा प्रदर्शन करते हुए 48% की बढ़ोतरी के साथ 269 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया।
  • सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का मुनाफा 32.8% बढ़कर 1,169 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
  • इंडियन बैंक ने भी 23.7% की वृद्धि के साथ 2,973 करोड़ रुपये का लाभ दर्ज किया।
  • बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने 23.2% की वृद्धि के साथ 1,593 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया।

PNB को झेलनी पड़ी गिरावट

जहां बाकी सभी सरकारी बैंकों का मुनाफा बढ़ा, वहीं पंजाब नेशनल बैंक (PNB) को इस बार झटका लगा है। बैंक का शुद्ध लाभ 48% गिरकर 1,675 करोड़ रुपये रह गया, जबकि पिछले साल इसी अवधि में उसने 3,252 करोड़ रुपये कमाए थे।

कुल आंकड़ों से बनी मजबूत तस्वीर

अगर पूरे सरकारी बैंकिंग सेक्टर की बात करें, तो पहली तिमाही में इन सभी 12 बैंकों का कुल मुनाफा 44,218 करोड़ रुपये रहा, जो पिछली बार के 39,974 करोड़ रुपये से लगभग 4,244 करोड़ रुपये ज्यादा है। यह संकेत देता है कि बैंकिंग सेक्टर धीरे-धीरे आर्थिक स्थिरता की ओर बढ़ रहा है।

क्या कहती है ये ग्रोथ?

सरकारी बैंकों का यह प्रदर्शन सिर्फ आंकड़ों की मजबूती नहीं दिखाता, बल्कि यह संकेत भी देता है कि भारत की सार्वजनिक बैंकिंग व्यवस्था आर्थिक सुधार, एनपीए में कमी और डिजिटल बैंकिंग के चलते और मजबूत होती जा रही है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि यही रफ्तार बनी रही, तो आने वाली तिमाहियों में सार्वजनिक बैंकों का योगदान भारत की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकता है।