महाकाल मंदिर में पर्जन्य अनुष्ठान, सीएम मोहन यादव पत्नी संग पहुंचे, नंदी हाल में 66 पंडित कर रहे पूजा

उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में प्रदेश में अच्छी वर्षा के लिए पर्जन्य अनुष्ठान की शुरुआत की गई। यह अनुष्ठान शनिवार को रक्षाबंधन के पावन अवसर पर प्रारंभ हुआ, जिसमें मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अपनी पत्नी के साथ सम्मिलित हुए। इस धार्मिक आयोजन में कुल 66 पुजारियों ने भाग लिया और सामूहिक रूप से वर्षा की प्रार्थना की।

मालवा में कम बारिश से बढ़ी चिंता

मालवा क्षेत्र, विशेषकर उज्जैन, इंदौर, देवास और आसपास के जिलों में इस वर्ष मानसून कमजोर रहने से किसानों और आम नागरिकों की परेशानियां बढ़ गई हैं। इस वर्षा की कमी को दूर करने और अमृत तुल्य बारिश की प्राप्ति के लिए महाकाल मंदिर के नंदी हाल में विशेष पूजा और महारुद्र पाठ का आयोजन किया गया। यह पाठ करीब तीन घंटे तक जारी रहेगा।

मंत्रोच्चार और जलधारा से महाकाल अभिषेक

अनुष्ठान के दौरान नंदी हॉल में मौजूद पुजारियों ने शिवलिंग का महापूजन किया। गर्भगृह में सतत जलधारा भगवान महाकाल को अर्पित की गई और नंदी हाल में वैदिक मंत्रोच्चार से वातावरण भक्तिमय बना दिया गया। ब्राह्मणों द्वारा दूधधारा और जलधारा से भगवान का अभिषेक किया गया।

मुख्यमंत्री की प्रार्थना — हर जगह बरसे आनंद

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने रक्षाबंधन की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आज महाकाल मंदिर में पूजा-अर्चना के अनुष्ठान में शामिल होना सौभाग्य की बात है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कहीं अधिक और कहीं कम वर्षा हो रही है, ऐसे में वे बाबा महाकाल से प्रार्थना करते हैं कि प्रदेश के हर कोने में आनंद और खुशहाली बरसे।

पुजारियों का संदेश — रक्षाबंधन पर महा रुद्राभिषेक

मंदिर के पुजारी आशीष ने बताया कि रक्षाबंधन पूर्णिमा के अवसर पर प्रदेश में उत्तम वर्षा की कामना के लिए महा रुद्राभिषेक प्रारंभ किया गया है। मुख्यमंत्री द्वारा पूजन के बाद, ब्राह्मणों के समूह ने सतत जलधारा और दूधधारा से भगवान महादेव का अभिषेक किया, जिससे वातावरण पवित्र और भक्तिमय हो उठा।

उज्जैन में गंभीर जल संकट की चेतावनी

श्रावण मास का अंतिम दिन होने के बावजूद उज्जैन और आसपास के इलाकों में संतोषजनक वर्षा नहीं हुई है। शहर को जलापूर्ति करने वाला गंभीर डेम अब मात्र 10 दिन का जल भंडार शेष रखे हुए है। जल स्तर में कमी के कारण पहले से ही उज्जैन में एक दिन छोड़कर पानी की सप्लाई की जा रही है। सावन जैसे पावन माह में वर्षा का अभाव क्षेत्र में जल संकट को और गंभीर बना रहा है।